पक्षाला बळकट करण्यासाठी सर्वतो प्रयत्न करा - हाजी जावेद

पक्षाला बळकट करण्यासाठी सर्वतो प्रयत्न करा - हाजी जावेद



 अहमदनगर- श्रीरामपूर

एम आय एम जिल्हा अध्यक्ष डॉ परवेज अशरफी यांच्या आदेशाने श्रीरामपूर येथे तालुक्याची आडवा बैठक घेण्यात आली. यावेळी प्रमुख उपस्थिती एम आय एम जिल्हा महासचिव हाजी जावेद शेख होते. हाजी जावेद यांच्या अध्यक्षतखालील बैठक घेण्यात आली व श्रीरामपूर तालुक्यातील आणि शहरातील समस्या जाणून घेतले. उपस्थित पदाधिकारी आणि कार्यकर्त्यांचा संबोधित करताना हाजी साहेबांनी सांगितले की श्रीरामपुरात काम चांगले चालू आहे ज्याप्रकारे पक्ष पूर्ण देशात वाडात आहे त्याच प्रमाणे महाराष्ट्रात आणि अहमदनगर जिल्ह्यात ही विस्तार होत आहे. श्रीरामपूर तालुक्यात सुध्दा पक्ष बन बळकट करण्यासाठी आपल्याला सर्व तो परी जिल्हा पदाधिकारी सहकार्य करणार असल्याचे ही हाजी साहेब यांनी सांगितले त्याच बरोबर नवीन पदाधिकारी चे अभिनंदन केले व भावी वाटचालीस शुभेच्छा दिले. कार्यक्रमाचे अध्यक्ष स्थानी एम आय एम जिल्हा महासचिव हाजी जावेद होते. कार्यक्रमाचे सूत्रसंचालन एम आय एम तालुका अध्यक्ष शकील शेख यांनी केले तर आभार एम आय एम शहर अध्यक्ष युनूस शेख यांनी मानलं. यावेळी एम आय एम जिल्हा महासचिव हाजी जावेद शेख, श्रीरामपूर तालुका अध्यक्ष शकील शेख,तालुका उपाध्यक्ष यूनुस भाई शेख, शहर अध्यक्ष युनूस शेख, शहर उपाध्यक्ष अमोल रूपट्टके  शहर सलाहकार शाहरुख  मन्सूरी  शहर संगठक किरण बोधक  शहर प्रसिद्धी प्रमुख दाऊद पिजारी  भोकर गांव अध्यक्ष अजिज भाई  भोकर गांव मेड़िया प्रमूख मुसा भाई  अशोक नगर अध्यक्ष समीर भाई  आदी. उपस्तती होते.

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शाह वजीहउद्दीन मिन्हाजी : एक ऐसा स्वतंत्रता सेनानी जिसे इतिहास के पन्नो में दफ़न कर दिया गया।

 



15 नोव्हेंबर यौमे वफात (पुण्यतिथी)

शाह वजीहउद्दीन मिन्हाजी एक महान क्रन्तिकारी, लेखक, कवि व समाज सेवी थे, जिन्होने जिन्ना की टू नेशन थ्योरी का विरोध डंके की चोट पर किया; जिसकी झालक आपको उनकी ग़ज़ल के इस मिसरे में दीखता है।


“चाहा तो था के क़ाएद ए आज़म को मान लुँ,

अल्लाह ने बचा लिया, एैसा ना हो सका..”


आपका इंतकाल 15 नवम्बर 1984 को हो गया; पर आपकी ख़्वाहिश शहादत थी, जिसके बारे में आपने अपनी डायरी 'मेरी तमन्ना' में 1 फ़रवरी 1936 को लिखते हैं :- “मेरी तमन्ना ये है के मादर ए वतन की क़ुर्बान गाह पर मेरी जान क़ुर्बान हो जाए… बिस्तर ए र्मग पर पांव रगड़ रगड़ कर मरने के बजाय अल्लाह की राह में मैदान ए जंग में या फाँसी के तख़्त पर जान दुँ… आमीन , सुम्मा आमीन- फ़क़्त”

1947 से पहले जब पूरा हिंदुस्तान अंग्रेज़ों के जु़ल्मों सितम से परेशान था और बगावत के सिवा उनके पास कोई चारा नही बचा था इसी वक़्त में एक ऐसा शख्श भी था जिसने अंग्रेज़ों के नाक में दम कर रखा था , दम भी इतना की अंग्रेज़ों ने उन्हें जिन्दा या मुर्दा पकड़ के लाने वाले को हज़ारो रु इनाम के तौर पर देने तक का ऐलान कर दिया, फिर भी अंग्रेजी हुकुमत उन्हें कभी उनके असल नाम से नही पकड़ पाई ।

1942 मे शाह उमैर साहब के नेतृत्व में बिहार के अरवल में बगावत का झंडा बुलंद कर अरवल थाना को लहकाने वाले “डॉ सैयद शाह वजिहउद्दीन मिनहाजी” जंग ए आज़ादी के पहली पंक्ति में खड़े होकर हिंदुस्तानी अवाम को अपनी बहादुरी और वफादारी का पैगाम देते रहे।

आपकी पैदाइश 1907 में बिहार के गया ज़िला में हुई , वहीं आपकी इब्तदाई तालीम भी हुई जहा आपने मौलवी मूसा राजा साहेब से फ़ारसी 1 और मदरसा सहसराम में फ़ारसी 2 की पढाई की , फिर 1920 में आपका दाख़ला गया के ही इस्लामिया हाई इंग्लिश स्कूल में करवा दिया गया.

1920 में ही कांग्रेस ने सरकारी स्कूल के बायकॉट का एलान कर दिया था , जिसका नतीजा ये हुआ के आपके वालिद साहेब ने आपको उस स्कूल से निकलवा दिया फिर 1921 में “गांधी क़ौमी विद्यालय” नेशनल स्कूल का क़ायम गया में हुआ उसमे आपने 3rd क्लास में दाखला लिया , इस स्कूल में चरखा कातना और कपड़े बुनना बिलकुल ज़रूरी था .. यहाँ आपको उस्ताद मिले ‘बाबा खलील दस’ ‘क़ाज़ी अहमद साहेब’ ‘किशन प्रसाद साहेब’ जिनसे आपने ग़ज़ल पढ़ना , तक़रीर करना वैगरा सीखा ,, जिसके बाद आपको हर छोटे बड़े प्रोग्राम में हिस्स लेने के लिए बुलाया जाने लगा …

बात 1922 की है जब आप गया के बार लाइब्रेरी में टेबल पैर चढ़ कर तक़रीर दे रहे थे तब वहां मौजूद पुलिस वाले को ये पसंद नही आया और उसने आपको गिरफ्तार कर उसी बार(कोर्ट) के जज के सामने पेश कर दिया उस वक़्त आपकी उमर महज़ 15 साल थी , जज ने एक कम उमर के लड़को अपने सामने देख कर हैरतज़दा हुआ और उसने आपसे कुछ सवाल किया जिसका जवाब आपने बहुत ही बेबाकी से दिया , आपकी हिम्मत को देख जज बहुत खुश हुआ और उसने लोगो को ताकीद की के कोई आपको तंग न करे , फिर क्या था एडवोकेट मौलवी खलीलुर्रहमान साहेब ने आपको एक टेबल दी और कहा “अब इस्पे चढ़ कर तक़रीर करना” यही वो माहोल था जिसने आपको एक इंक़लाबी बनाना शुरू किया..

1923 में “इंडियन नेशनल कांग्रेस” “खिलाफत कमिटी” “आकली दल” “आल इंडिया जमीयत उलमा” का सालाना इजलास गया में धूम धाम से मनाया गया , इस इजलास में आपको आपके उमर के वॉलेंटियर का सदर बना दिया गया .. 

फिर आपके वालिद ने आपको 1924 में पढ़ने के लिए कलकत्ता भेज दिया वहां आपने बीमारी की वजह कर 1 साल में ही पढाई को छोड़ वापस गया आ गए … गया में ही आपका इलाज हुआ जिसके बाद आपके वालिद की सारी जमा पूंजी खत्म हो गई और आपको अपनी पढाई बीच में ही हमेशा के लिए छोड़नी पड़ी ..

1930 में आपके अंदर पढ़ने का शौक़ फिर से जागा , 1931 में हुवे एग्जाम में आप टॉप कर गए पर यनिवर्सटी के एग्जाम में 6 नंबर की वजह कर नाकामयाब हो गए .. पर आपकी हिकमत अमली को देख कर 1931 में आपको जमीयतुल तालबा गया के सदर बना दिया गया, 1931 में ही आपने हाथ से लिखी हुई “हिंदुस्तान” नाम के पर्चे निकलना शुरू किये जिसे अंग्रेजी हुकूमत ने बाग़ीयना समझ कर जप्त कर लिया…

इसी साल रमज़ान के आख़री जुमे(जुमातुल वेदा) को आपने गया की जामा मस्जिद के सेहन में अपनी नज़म “मुस्लिम से ख़िताब” पढ़ी , नज़म सुनने के बाद पूरा मजमा जोश में आ गया , अभी आप वहां से हटे भी नही थे की सब इंस्पेक्टर ने आपको गिरफ्तार कर लिया पर आपको मुजरिम साबित नही कर सका और आप बाइज़्ज़त बरी हो गए इस वक़्त आपकी उम्र महज़ 24 साल थी …

इस हादसे के बाद आपके वालिद साहेब ने आपको “मुज़फ़्फ़रपुर” भेज दिया पर 3 माह में ही आप वहां से लौट आये .. आपने कुछ दिन गया में गुज़ारे ही थे की वालिद ने आपको वापस मुज़फ़्फ़रपुर जाने का हुक्म सुना दिया , लेकिन आपका दिल वहां जाने को बलकुल तैयार नही था .. वालिद साहेब ने आपको मुज़फ़्फ़रपुर तक का किराया दे कर रुखसत किया पर मुज़फ़्फ़रपुर न जा कर गया से पटना आ गए , और इत्तेहाद कॉन्फ्रेंस वालो के साथ हो लिए और कलकत्ता पहुंच गए ..

अब आपके पास बदन पर ओढ़े हुवे कपडे के इलावा कुछ नही था , जैसे तैसे कर आपने एक फोटो शूट करने वाले के यहाँ एक एजेंट का ओहदा संभाला , महीने भर मेहनत करने के बाद आपको 60 रुपया दिया गया जिससे आपने रेशमी कटपीस का गठ ख़रीदा और और पुरे बंगाल का दौरा शुरू किया ढाका , मुर्शिदाबाद , मिदनापुर , परगना , रंगपुर होते हुवे आप असम के सरहद पर जा निकले , रस्ते में आने वाले सारे बाज़ार क़स्बे घूम लिया , बंगालियों के श्रृंगार के सामान भी आप खरदो फरोख़्त करने लगे , इसी तरह 3 माह गुज़र गया और आपको 250 रूपये का मुनाफा हुआ पर आपकी सेहत पर इसका बुरा असर पड़ा , आखिर में आपने उन रूपये का मेज़, कुर्सी, टेबल, अलमारी वगैरा ख़रीदा और 14 रूपये हर महीना के हिसाब से कमरा किराये पर ले कर इसमें कंपनी { Sa-Min Publicity & Printing Beaure } का दफ्तर खोला .. उर्दू , हिंदी , इंग्लिश का कॉन्ट्रैक्ट भी मिल गया और कुछ ही दिन में काम अच्छा जम चूका था इस वजह कर 2 हेल्पर 20 रुपया हर महीने के हिसाब से रख लिया…

1932 में ही इत्तेहाद कॉन्फ्रेंस कलकत्ता में में होने को हुई, हिंदुस्तान के तमाम सूबे से नुमाइंदे आ रहे थे और सूबे बिहार की तरफ से आपका नाम पेश कर दिया गया था .. अब आपने सारे काम को हेल्पर के हवाले कर इस कॉन्फ्रेंस को कामयाब बनाने में लग गए , इस कॉन्फ्रेंस में मौलाना अहमद सिंधी , मौलाना गुलशन खान , मौलाना इरफ़ान साहेब , मौलाना अबुल कलम आज़ाद , पंडित मदन मोहन मालवीय वग़ैरा आये हुवे थे , सबसे काम उम्र वालों में हारिस साहेब , आप और एडिटर अजमल बमबई वाले थे … किसी वजह कर इत्तेहाद कॉन्फ्रेंस टूट गई और कोई कामयाबी हाथ न लगी ..

इसी साल “आल इंडिया मुस्लिम कॉन्फ्रेंस” कलकत्ता में होने को था और आपके हिसाब से इसके पीछे पूरी तरह से यूरोप की ताक़ते थी इस लिए आपने इसका मुख़ालफ़त किया , नौजवान मुसलमानो की एक कमिटी “बंगाल मुस्लिम नौजवान पार्टी” बना कर आपने “मुस्लिम कोंफ्रन्स” की मुख़ालफ़त शुरू की.. लोगो ने आपको ही इस पार्टी का सदर बना दिया था..

“आल इंडिया मुस्लिम कॉन्फ्रेंस” के नुमाइंदे ने भी आप लोगो के खिलाफ साज़िश शुरू की आप लोगो के बारे में तरह तरह के बेहूदा अलफ़ाज़ का इस्तेमाल किया पर आप लोग टस से मस नही हुवे और उनकी मुख़ालफ़त जारी रखा , रोज़ कलकत्ता में सुबह और शाम “आल इंडिया मुस्लिम कॉन्फ्रेंस” के खिलाफ जलसे होने लगे पर आप लोगो को कोई खास कामयाबी हासिल नही हुई .. “आल इंडिया मुस्लिम कॉन्फ्रेंस” वालो ने जलसे की तारिख़ तए कर दी और लोग हर सूबे से आने लगे , अब कोई चारा न देख कर आप लोगो ने जस्ले की जगह पर हुड़दंग करने को ठानी , जिसके बाद “मुस्लिम कॉन्फ्रेंस” के लोगो से आप लोगो का टकराव हो गया जिसमे आपके कई साथी ज़ख़्मी हो गए आपको भी चोटें आई , पर आप लोग घबराये नही वापस जलसे की जगह के तरफ मुड़े और पंडाल को उखाड़ना शुरू किया जिससे पुरे मजमे में अफरा-तफरी फैल गई…

“मुस्लिम कॉन्फ्रेंस” का कोई भी नुमाइंदा तजवीज़ ले कर स्टेज पर आता तब आप और आपके साथी हंगामा कर उसे बैठने पर मजबूर कर देते जिसके नतीजे मे “मुस्लिम कॉन्फ्रेंस” की एक भी तजवीज़ अवाम के बीच में नही आई…. ये आपके लिए एक बड़ी कामयाबी थी , इस वजह कर पुरे कलकत्ता के लोग आपको पहचानने लगे और नौजवान तो आपके मुरीद हो गए थे…

1932 में ही आपको बंगाल मजलिसे अहररुल इस्लाम का सेक्रेटरी बना दिया गया , पर तिजारत की वजह कर आपने इस्तीफा दे दिया , पर 2 माह के बाद आपको वापस सेक्रेटरी बना दिया गया और आप अवाम के दबाओ में आ कर इससे इंकार न कर सके …

15 जून 1932 को सुबह 4 बजे आपके घर पर छापे पड़े CID ने आपके घर को चारो तरफ से घेर लिया था , तलाशी का वारंट दिखा कर पुलिस ने तलाशी शुरू की जिसमे उन्हें अँगरेज़ मुखालिफ बाग़ीयाना पर्चे और बहुत से गैर क़ानूनी सामान मिले , पुलिस ने सबको ज़ब्त कर लिया और आपको गिरफ्तार कर लिया और साथ चलने को कहा , पर आपने पैदल जाने से साफ़ इंकार कर दिया फिर आपके लिए मोटर लाइ गई तब तक आपने नहाया और नाश्ते किये फिर अपने दोस्तून को अलविदा कह उनके साथ चल दिया ,..

अगले दिन कलकत्ता के सारे अखबार ने इस वाक़ये को सफ़े अव्वल पर छापा .. आपको 14 दिन कि पुलिस हिरासत में भेज दिया गया जहा आप जल्लाद हर तरह के ज़ुल्म किया करता था पर आपने अपना मुह नही खोला , 14 दिन बिना किसी इंसान के पुलिस हिरासत में रहने की वजह कर आपका वज़न 18 पौंड घट चूका था आखिर में थक हार के आपको अलीपुर सेंट्रल जेल में भेज दिया गया जहाँ इंसानो की जमात देख कर आपके जान में जान आई …

मुक़दमा चीफ प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट के पास पेश हुआ आपके उपर 5 दफा लगाये गए थे जिसमे आपको 30 माह , 7 साल, 14 साल, 30 साल से लेकर फँसी तक हो सकती थी …

आपकी तरफ से कांग्रेस के नेता गुप्ता साहेब जो उस वक़्त के कामयाब वकील गिने जाते थे पैरवी केर रहे थे , और उनके साथ कंधे से कन्धा मिला कर खड़े थे जनाब मौलवी एडवोकेट शम्सुद्दीन साहेब कोल्कता हाई कोर्ट , जनाब कोंसलर जी सी मुखर्जी बंशला कोर्ट और जनाब टी पि चटर्जी .. इनलोगो की मेहनत और अवाम की दुवाएँ रंग लाइ और आप पर लगे एक भी जुर्म को कोर्ट में साबित नही किआ जा सका लेकिन फिर भी मजिस्ट्रेट 18A प्रेस एक्ट के तहत 50 रूपये का जुर्माना लगा दिए और जुर्माना नही अदा करने पर 35 दिन जी सजा मुक़र्रर कर दी, आपके पास पैसे तो थे नही इस लिए आपके क़रीबी ‘भोले मियां ‘ और ‘बुज़ुर्ग शाह’ अपने तरफ से जज को 50 रुपया अदा कर आपको रिहा करवाना चाहा पर आपको अंग्रेज़ो से इस क़दर नफरत थी के इन फिरंगियो को आप एक फूटी कौड़ी नही देना चाहते थे इसलिए आपने इंकार कर दिया और आपने 35 दिन जेल में रहना मुनासिब समझा …

इसके बाद आपको कोल्कता प्रेसिडेन्टिअल् जेल भेज दिया गया फिर वह से अगले दिन आपको अलीपुर सेंट्रल जेल के लिए रवाना कर दिआ गया , जेल में आपके उम्र के हज़ारो नौजवान थे इसी वजह कर जेल में भी तक़रीर का दौर चलने लगा , धीरे धीरे वक़्त गुज़रता गया और आपकी सेहत में भी कुछ सुधार आया …

आख़िर आपके रिहा होने का दिन आ ही गया , जेल की गेट पर सैकड़ों की तादाद में अवाम सजी हुई मोटर और मालाओं के साथ आपका इस्तक़बाल करने के लिए खड़ी थी इसमें आपके कई दोस्त भी थे .. पूरा इलाक़ा नारा ए तकबीर :_ “अल्लाह ओ अकबर” की सदाओं से गूंज उठा

अगले दिन मुसलमान कलकत्ता की जानिब से “बंगाल मजलिसे अहररुल इस्लाम” के बैनर तले आपके इस्तक़बाल में एक अज़ीमुश्शान जलसा को अंजाम दिया गया जिसमे लोगो ने आपकी हौसला अफ़ज़ाई की , इन तमाम बातो की खबर आपके वालिद साहेब को लग चुकी थी , उन्होंने खत लिख कर आपको फ़ौरन ‘गया’ आने का हुक्म सुनाया, चूंकि आपकी कम्पनी बंद हो चुकी थी और सारा पैसा डूब चूका था इस लिए आपने भी सरे फर्नीचर बेच घर जाने को सोची और “गया” पहुंच गए .. लोगो ने आपका वह भी गर्मजोशी से इस्तक़बाल किया , आप वापस कलकत्ता जाना चाहते थे लेकिन घर वालो के दबाओ में आप हिल नही सके , आखिर में आपको ज़िम्मेदारी में बंधने के लिए 29 जून 1934 को आपकी शादी कर दी गई ,

" मेरी तमन्ना ये है के मादरे वतन की क़ुर्बान गाह पर मेरी जान क़ुर्बान हो जाए

बिस्तर ए र्मग पर पाओँ रगड़ रगड़ कर मरने के बेजाए अल्लाह की राह मेँ मैदाने जंग मेँ या फाँसी के तख़्त पर जान दुँ… आमीन , सुम्मा आमीन- फ़क़्त "

(शाह वजीहउद्दीन ‘गर्म’ मिनहाजी 1-फरवरी-1936)

चूंकि बदन में दौड़ता सारा लहू ईमान वाला था – 

इसलीए “गर्म” कहाँ खामोश रहने वाला था ..!!

आपने अंग्रेज़ो के मुखालफत के लिए आपने क़लम का सहारा लिया और फिर से हाथ से लिखे हुवे पत्रिका का दौर शुरू हुआ…

आप क्रन्तिकारी पत्रिका लिखते थे जिसका नाम आपने “बाग़ी” रखा , जिसमे आप अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान लिखने के बाद अवाम से अंग्रेज़ो का मुख़ालफ़त करने के लिए दर्खास्त करते थे। इस पत्रिका मे उन्होने अंग्रेज़ों से किसी भी तरह का सम्बन्ध रखने से मना किया और गुजारिश करते थे की कोई भी हिंदुस्तानी अंग्रेजों के पास नौकरी ना करे। और इस पत्रिका को खुद गाँव गाँव जाकर बांटते थे।

https://www.amazon.in/gp/product/B084L927MC/ref=as_li_tl?ie=UTF8&tag=jpnews786-21&camp=3638&creative=24630&linkCode=as2&creativeASIN=B084L927MC&linkId=b55eb8fb7c3456947fa41807a68e7a52इस पत्रिका को निकालने वाले का नाम तो अंग्रेज़ को आज तक नही पता चल सका पर उस पत्रिका के मौजू (विषय) और विवरण से अंग्रेज़ो ने ये अंदाजा लगा लिया की उसे “शाह वजीहउद्दीन मिनहाजी” जो बिहार मे “गर्म अज़ीमाबादी” के नाम से मशहूर थेे ही लिखते थे। इस वजह कर आपको कई बार शक की बुनयाद पर गिरफ्तार भी किया गया जिसका गवाह भागलपुर, गया कि जेलें हैं. पर कभी जुर्म साबित नही हो सका इस वजह कर आप हमेश जेल से बहार आ जाते थे .. आपको शेरो शायरी का भी बहुत शौक़ था , आपने बहुत सारी ग़ज़लें तो जेल की सलाख़ों के पीछे ही लिखा था.  

आपको जितना मुसलमान होने पर फ़ख़्र था उतना ही आपको मुसलमान के नाम पर सियासत करने वालो से नफ़रत भी था , आपने “मुस्लिम लीग” की खुल कर मुख़ालफ़त की ..

आपने जिन्ना की टू नेशन की थेओरी को बिलकुल ही ठुकरा दिया था जिसकी झालक आपको उनकी ग़ज़ल के इस मिसरे में दीखता है

"चाहा तो था के क़ाएदे आज़म को मान लुँ,

अल्लाह ने बचा लिया,ऐसा ना हो सका.."

आप एक महान क्रन्तिकारी , लेखक , कवि और समाज सेवी थे , पर फ़िलहाल के लिए इतनी ही जानकारी इकठ्ठा कर पाया हुँ इसलिए आपकी एक ग़ज़ल के साथ आपको खिराजे अक़ीदत पेश करता हुआ ये मज़मून फ़िलहाल खत्म करता हूँ , आपका इंतकाल 15 नवम्बर 1984 को हो गया था …

(टीप - ये लेख शाह वजीहउद्दीन मिन्हाजी साहब की डायरी ‘मेरी तमन्ना’ पर अधारित है, अधिकतर जानकारी वहीं से ली गई है।)

Md Umar Ashraf

संकलन - अताउल्ला पठाण सर टूनकी बुलढाणा महाराष्ट्र

9423338726


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निराधार मानसिक विकलांग मातेला "मानवसेवा" प्रकल्पात मायेचा आधार manavseva project

निराधार मानसिक विकलांग मातेला "मानवसेवा" प्रकल्पात मायेचा आधार


अहमदनगर- दि. २०/११/२०२० रात्री १०:१२ वा. तारकपुर परिसरात आठ दिवसांपासून एक निराधार मानसिक विकलांग महिला (अंदाजित वय ३५ वर्ष) फिरतांना सामाजिक कार्यकर्त्या मा. संध्याताई मेढे यांच्या नजरेस पडली. या निराधार मातेला आधार मिळण्याकरीता संध्याताई यांनी अरणगाव येथे मनोरुग्णांना जगण्याची नवी उर्मी देणारे श्री अमृतवाहिनी ग्रामविकास मंडळाच्या *'मानवसेवा'* प्रकल्पाचे संस्थापक दिलीप गुंजाळ यांना कळविले. दिलीप गुंजाळ स्वयंसेवकांसह तारकपुर परिसरात पोहचले आणि पिडीत महिलेशी चर्चा केली. दररोजच्या वेदना सहन करुन मिळेल ते खाऊन जगणं...! सर्व भान हरवून बसलेल्या या मातेला वैयक्तिक स्वच्छतेचही भान नव्हतं. काही दुकानांच्या पायरीवर रात्र काढतांना एका माणसांकडून दररोजचं शोषणही व्हायचं. हे ऐकून काळजात चर्रर्र...झालं. संस्थेचे दिलीप गुंजाळ व संध्याताई मेढे यांनी लागलीच या सर्व परिस्थितीची माहिती तोफखाना पोलीस स्टेशनला दिली. या निराधार मातेचं दु:ख जाणून घेवून दिलीप गुंजाळ, अनिता मदणे, विकास बर्डे, ऋतिक बर्डे यांनी निराधार मनोरुग्ण मातेला *"मानवसेवा"* प्रकल्पात दाखल करीत मायेचा आधार दिला. अखेर या मातेच्या सुरक्षिततेचा प्रश्न सुटला. मानसोपचार तज्ञ डॉ. अनय क्षीरसागर यांच्या मार्गदर्शनाने उपचार सुरु केले आहे. मानवसेवा प्रकल्पामुळे या निराधार मातेच्या आयुष्याची नवी वाट निर्माण झाल्याची भावना सामाजिक कार्यकर्त्या संध्याताई मेढे यांनी व्यक्त केली.

*मानवसेवा प्रकल्प*

(मन व घर हरवलेल्या मानसांच हक्काच घर)

द्वारा- *श्री अमृतवाहिनी ग्रामविकास मंडळ*

☎ (०२४१) २४२९९४२

📱 ९०११७७२२३३

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मतदार यादीत दुरुस्तीची सरकारची विशेष मोहीम

मतदार यादीत दुरुस्तीची सरकारची विशेष मोहीम - ELECTION VOTER LIST

विशेष मोहिमे अंतर्गत होणार दुरुस्ती  



नवीन मतदारांचे नाव समाविष्ट होणार 

मतदार यादीत नाव नसेल तर हीच संधी 

नावाची दुरुस्ती करता येईल 

सर्व चुकीची दुरुस्ती करता येणार 

राज्य -  जिल्ह्याच्या मतदार यादीत जिल्हा प्रशासनाद्वारे महिला व युवक मतदार नोंदणीची विशेष मोहीम हाती घेण्यात आली आहे. मतदार यादीत १ हजार पुरुषांच्या तुलनेत महिलांची नावे अवघी ९२३ आहेत. त्यामुळे महिलांची नावे मतदार यादीत नोंदवण्यासाठी प्रत्यक गावातील अंगणवाडी सेविका, आशा वर्कर व महिला बचत गट सदस्य महिलांना जबाबदारी देण्यात आली आहे. याचबरोबर १८ ते १९ वर्षे वयोगटातील युवा पिढीला मतदार नोंदणी होण्यासाठी या विद्यार्थीची जबाबदारी  शिक्षण घेत असलेल्या शाळा-महाविद्यालयांच्या प्राचार्यांवर देण्यात आली आहे. १ जानेवारी २०२१ रोजी वयाची १८ वर्षे पूर्ण झालेल्या युवा, महिला यांचे  मतदार यादीत नोंदवण्याचे काम या मंडळींना करावे अशे आदेश देण्यात आले. 

नव्या मतदारांचे नाव समाविष्ट करणे, दुबार नोंदणी असलेल्या मतदारांची तसेच मृत व्यक्तींची व स्थलांतरित व्यक्तींची नावे वगळण्याचा मतदार यादी विशेष संक्षिप्त पुनःरिक्षण कार्यक्रम जिल्हा निवडणूक अधिकारी-जिल्हाधिकारी राजेंद्र भोसले व उपजिल्हा निवडणूक निर्णय अधिकारी जितेंद्र पाटील यांनी हाती घेतला आहे. जिल्ह्याची जुनी मतदार यादी प्रसिद्ध करून त्यात जे दुरुस्ती असतील त्यासाठी नागरिकांनी अर्ज भरून द्यायचे आहे.

जिल्ह्यातील १२ विधानसभा मतदार संघांतील ३ हजार ७२२ मतदान केंद्रांवर विशेष सुविधा केली गेली आहे. या मतदान केंद्रावर प्रत्येकी एक बीएलओ म्हणजे ३ हजार ७२२ बीएलओ व ३५४ बीएलओ सुपरवायझर नियुक्त केले गेले आहेत. या मोहिमेत राजकीय पक्षाने आपले प्रतिनिधी नेमून केंद्र प्रतीन्धीला सहकार्य करण्याचे आव्हान करण्यात आले. आहे. सदर दुरुस्तीचा कार्यक्रम १५ डिसेम्बर पर्यंत सुरु राहणार असून नागरिकांनी मतदान यादीत काही चुकले असेल तर ती दुरुस्ती करण्याचे आव्हान करण्यात आले आहे. आलेल्या हरकती आणी सूचनाच्या आधारे १५ जानेवारीला २०२१ रोजी अंतिम मतदान यादी प्रसिद्ध करण्यात येईल 

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विद्यापीठाची स्थापना व टिपूंचे ग्रंथालय - Tipu Sultan

 विद्यापीठाची स्थापना व टिपूंचे ग्रंथालय

इतिहास -

मध्ययुगीन काळात शिक्षण हे राजपरिवार आणि अति श्रीमंत वर्गापुरते मर्यादित होते . समाजातील कनिष्ठवर्गीय अपवादात्मक परिस्थितीत शिक्षण घेत. राज दरबारातील अधिकारी आणि उच्च सैनिकी अधिकारी यांच्या कुटुंबीयांनाच शिक्षण सहजतेने मिळत असे. भारतातील इतिहासात काही मोजक्या राजकर्त्यांनी सामान्य रयतेच्या शिक्षणाची व्यवस्था केली होती. अशा राजकर्त्यात टिपू सुलतानाचे नाव अग्रभागी आहे.

टिपूंनी राज्यातील जनतेला शिक्षण मिळावे यासाठी विद्यापीठाची स्थापना केली होती.

सल्तनत ए खुदादादमध्ये निरक्षरांचे प्रमाण अधिक होते. त्यासाठी टिपूने श्रीरंगपट्टणम येथे "जामिआ-अल्-अमूर" या नावाने एक विद्यापीठ स्थापन केले. धार्मिक सामाजिक आणि विविध कलांचे तेथे शिक्षण दिले जात होते. यासाठी तज्ज्ञ शिक्षकांची नेमणूक करण्यात आली होती.


टिपू सुलतान ग्रंथप्रेमी होते. श्रीरंगपट्टणमच्या राजमहालात त्यांचे व्यक्तिगत ग्रंथालय होते. त्या ग्रंथालयात राजकीय, सामाजिक,आर्थिक,सैनिकी शास्त्र,युद्ध शास्त्र,कला,व्यापारी आणि प्रवासवर्णनावर आधारित ग्रंथ होते. त्यांची संख्या तब्बल १ हजार ८८९ इतकी होती. इ.स १७९९ मध्ये टिपू सुलतान शाहिद झाल्यानंतर इंग्रिजांनी त्यांचे राजमहाल लुटून टिपूच्या ग्रंथालयातील पुस्तके ताब्यात घेतल्यानंतर ती पुस्तके कोलकात्याला पाठवली. तेथे फोर्ट विल्यम महाविद्यालय आणि एशियाटिक सोसायटीत ती पुस्तके ठेवण्यात आली.

 इ.स १८०३ मध्ये फोर्ट विल्यम महाविद्यालय बंद पडल्यानंतर ही पुस्तके केंब्रिज आणि ऑक्सफर्ड विद्यापीठात पाठवण्यात आली.

इ.स १८०९ मध्ये चार्ल्स स्टुअर्स याने टिपूंच्या ग्रंथालयाविषयी Descripective Catlogue of The Oriental Library of The Late Tipu Sultan of Mysore

या नावाने एक पुस्तक प्रकाशित केले आहे. त्यात त्याने टिपूंच्या ग्रंथालयातील काही पुस्तकांची विषयवार सूची दिली आहे.

 संदर्भ:- सल्तनत-ए-खुदादाद, लेखक सरफराज अहमद

*टिपू सुलतान ग्रंथालय*

 *डेक्कन मराठी*

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धर्मनिरपेक्ष, सहिष्णू, अमर शहिद टीपू सुलतान (रह.)...

अन्न व औषध प्रशासने केली मोठी कारवाही - Food and Drugs....

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डॉ धर्मराज सुरोसे यांची जिल्हाध्यक्ष पदी निवड - shevgaon

डॉ धर्मराज सुरोसे यांची जिल्हाध्यक्ष पदी निवड



शेवगाव प्रतिनिधी - 

डॉ. धर्मराज एकनाथ सुरोसे यांची प्रधानमंत्री जनकल्याणकारी योजना अभियान "च्या अहमदनगर जिल्हाध्यक्ष पदी नियुक्ती झाल्याबद्दल भारतीय जनता पार्टी अहमदनगर चे जिल्हाध्यक्ष मा. अरुणभाऊ मुंडे यांच्याकडून सत्कार करण्यात आला. व तसेच तालुक्यामध्ये अभिनंदन चा वर्षाव होत आहे या सत्कार समारंभ प्रसंगी शिवाजी आधाट ,अभिलाष डाके, गणेश शिंदे,आदी मान्यवर उपस्थित होते.

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अन्न व औषध प्रशासने केली मोठी कारवाही...

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दुचाकी भेट - मानवसेवा - MANAVSEVA PROJECT...

अन्न व औषध प्रशासने केली मोठी कारवाही - Food and Drugs

अन्न व औषध प्रशासने केली मोठी कारवाही


सोलापूर -


 मा. आयुक्त, अन्न व औषध प्रशासन यांना सोलापुर येथे रासायनिक ताडी विक्री होत असल्याची गोपनीय माहिती मिळाली. त्याअनुषंगे मा. आयुक्त यांनी सह आयुक्त, पुणे यांना सोलापूर सहित सातारा व सांगली येथील अधिका-यांची टिम घेऊन कार्यवाही करण्याचे निर्देंश दिलेत. मा. आयुक्त यांचेकडून मिळालेल्या गोपनीय माहितीच्या आधारे दिनांक 19/11/2020 रोजी सोलापूर येथे खालील ठिकाणी धाड टाकून ताडी तसेच रासायनिक पदार्थांचा साठा जप्त करण्यात आला. तसेच सदर पेढींना व्यासाय बंदीच्या नोटीस देऊन त्यांच्या पेढ्या सिल करण्यात आल्या. जप्त करण्यात आलेल्या ताडीचा साठा नष्ट करण्यात आला.

१) श्रीमती सत्यमा सुभाष कोकोंडा,

निलम नगर, आकाशवाणी रोड, सोलापूर

ताडी -298 लिटर - 5960 /-

क्लोरल हायड्रेट – 3075 किलो - 275 /-


2)कौशल्या मारुती गुजराती, जय हॉस्पीटलच्या मागे, रविवार पेठ, सोलापूर

ताडी 3 लिटर - 150 /-

3)श्री. रामलु कनकय्य भंडारी, मालक मे. गोल्डन ड्रिक्स, विडी घरकुल, सोलापुर

पांढरी रासायनिक पावडर नं.1-8.8 किलो- 640/-

पांढरी रासायनिक पावडर नं.2 - पोस्टर कलर

4)श्री. विठ्ठल भंडारी जोडभावी पेठ, शिंदी खाना, सोलापुर

तयार ताडी, पाऊच – 567 पाऊच 283.5 लिटर ताडी

11340/-

5)तिमक्का मंजुळे यांचे घर, वडार गल्ली, रविवार पेठ, सोलापुर

सर्वेक्षण ताडी नमुना – 500 मिली.

एकुण किंमत रुपये

18365 /-

 उपरोक्त ताडी विक्रेत्यांकडून नमुने प्रयोगशाळेत तपासणीसाठी पाठविणेकरीता सिलबंद करण्यात आलेले आहेत. अहवाल प्राप्त झाल्यानंतर संबंधीतांविरुध्द कारवाई घेण्यात येईल. याबाबत प्रथम खबरी अहवाल दाखल करण्यात आला असून, अन्न व औषध प्रशासनामार्फत यापुढेही भेसळ युक्त ताडीसंदर्भात तपासण्या व धाडींचे आयोजन करण्यात येणार आहे.

 यातून राज्यातील सर्वसामान्य जनतेच्या आरोग्याशी निगडीत गोष्टीमध्ये कोणत्याही प्रकारचा हलगर्जीपणा / गुन्हेगारी कृत्य खपवून घेतले जाणार नसल्याबाबत मा. आयुक्त, अन्न व औषध प्रशासन, म. राज्य यांनी निर्देश दिलेत.

 अन्न व औषध प्रशासनामार्फत ताडीच्या संदर्भात पहिल्यांदाच अश्या प्रकारची कारवाई करून प्रथम खबरी अहवाल दाखल करण्यात आला आहे.

 सदरची कारवाई मा. अन्न सुरक्षा आयुक्त, श्री. अभिमन्यु काळे, भा.प्र.से., अन्न व औषध प्रशासन, म. राज्य, मुंबई, श्री. एस. एस. देसाई, सह आयुक्त (अन्न), पुणे विभाग, पुणे यांच्या मार्गदर्शनाखाली श्री. सु. आ. चौगुले, सहायक आयुक्त (अन्न), सांगली अन्न सुरक्षा अधिकारी श्रीमती न. त. मुजावर, श्री, एम. एम. लवटे, श्री. पी. एस. कुचेकर, श्री. यो. रो. देशमुख, श्री. यु. एस. भुसे, अन्न व औषध प्रशासन, सोलापूर. अन्न सुरक्षा अधिकारी श्री. द. ह. कोळी, श्री. चन्नवीर स्वामी, अन्न व औषध प्रशासन, सांगली. अन्न सुरक्षा अधिकारी श्री. रोहन शहा व श्री. अनिल पवार, अन्न व औषध प्रशासन, सातारा यांनी पार पाडली.

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धर्मनिरपेक्ष, सहिष्णू, अमर शहिद टीपू सुलतान (रह.) - ....

मुस्लिम आरक्षणाचे वास्तव.


धर्मनिरपेक्ष, सहिष्णू, अमर शहिद टीपू सुलतान (रह.) - HAZRAT TIPU SULTAN R.

 धर्मनिरपेक्ष, सहिष्णू, अमर शहिद टीपू सुलतान (रह.)


देश -

ह. टीपू सूलतान र. हा अत्यंत धार्मिक व्रुत्तीचा होता. याच बरोबर तो पूर्वग्रह दोषापासून दूर आणि अत्यंत सहिष्णू व्रुत्तीचा होता. हि गोष्ट सर्व न्यायनिष्ठ इतिहासकारांनी मान्य केलेली आहे. पूर्वग्रह दोष बाळगणाऱ्या इतिहासकारांनी याबाबतची सुलतान टीपूची बदनामी करण्याचा खूप आटापिटा केलेला आहे. भारतातील हिंदू मुसलमानांमध्ये फूट पाडावी व आपली सत्ता कायम टिकवावी अशी इंग्रजांची कुटील नीती होती ही गोष्ट तर जगप्रसिद्ध आहे. म्हैसूरच्या कणाकणात अमर शहिद टीपू सुलतानच्या धार्मिक सहिष्णुतेचे पुरावे आजही अस्तित्वात आहेत. हल्ली तर प्रवास करणे इतके सोपे झाले आहे की ज्याला सत्य जाणून घ्यायचे आहे तो प्रत्येक मनुष्य म्हैसुरात जाऊन टीपू सुलतानच्या धार्मिक सहिष्णुतेचे आपल्या डोळ्यांनी दर्शन घेऊ शकतो.

म्हैसूर राज्यात प्रवेश करताच सर्वप्रथम ज्या इमारती आपल्या अस्तित्वाची चोहिकडे ठळकपणे जाणीव करुन देतात त्या म्हणजे हिंदूची प्राचीन मठ व मंदिरे या होत. यापैकी काही तर हजार वर्षाच्याही पूर्वी बांधलेली आहेत. टीपू सुलतान जर द्वेष बाळगणारा असता तर सदरहू मंदिरे नामशेष करणे त्याला सहज शक्य होते परंतु याच्या अगदी उलट या मंदिरांना त्याने जहांगिऱ्या व इनाम दिलेले आहेत. यासंबंधीची शाही फर्माने व सनदा अद्यापही सदरहू मंदिरात उपलब्ध आहेत. सत्य शोधणाऱ्यांसाठी त्या लाभदायी ठरु शकतात.

श्रीरंगापट्टनम टीपू सुलतानच्या राजधानीचे शहर पुष्कळांनी पाहिले असेलच. प्रतिवर्षी दूरदूरहून हजारोंच्या संख्येत लोक ते पाहण्यासाठी येतच असतात. श्रीरंगपट्टनम रेल्वे स्थानकाच्या बाहेर पडताक्षणीच दोन भव्य मंदिरांवर पर्यटकांची द्रुष्टी खिळून राहते. या मंदिराच्या अगदी जवळच टीपू सुलतानचा राजमहल होता. त्यांच्या महालाच्या पाठीमागे अगदी लागून दुसरे एक भव्य मंदिर आहे. बंगलोरात देखील टीपूच्या महालाला लागून एक लहान मंदिर अद्यापही उभे आहे तसेच म्हैसूर प्रदेशातील श्रीनगरी, वेल्लूर, नजनगड, अल्सुर, बंगलुर इ. ठिकाणी अशीच कित्येक शतकांपूर्वी बांधलेली मंदिरे अद्यापही डौलाने उभी आहेत. या मंदिरातही टीपूने 'वतने' व 'इनाम' दिलेले आहेत. या मंदिरातील स्वामी व आचारींबद्दल त्याच्या मनात नितांत आदर होता. याबाबत बोलके पुरावे व प्रमाण आजही म्हैसूर राज्यातील पुरातन विभागात सुरक्षित आहेत.

म्हैसुरच्या पुरातन विभागाच्या अहवालाबाबत इ. स. १९१६ यात लिहिले आहे. श्रीनगरीच्या मठात नवाब हैदर अलीचे तीन पुत्र व टीपू सुलतानची तीस पत्रे व फर्मान मिळवली आहेत. सदरहून पत्र व फर्मानात हिजरी सणाबरोबरच स्वत: सुलतानने निर्माण केलेला मौलदी सनदी लिहिलेला आहे. इतर पत्रांच्याविरुध्द ज्यांच्यात सुलतानचे नाव प्रथम लिहिले जात असे. सुलतान श्रीनगरी मठाच्या शंकराचार्याचे नाव व मायने प्रथम लिहिले आहेत. स्वतः च्या नावाबरोबर त्याने कोणताच किताब व मायना लिहिलेला नाही. या पत्रापैकी बहुतेक पत्र म्हैसूरच्या तिसऱ्या युध्दातील घटनांवर प्रखरपणे प्रकाश टाकतात. काही पत्रे श्रीनगरी मठातील शंकराचार्यांनी लिहिलेल्या पत्राच्या उत्तरात लिहिलेली आहेत.

म्हैसुरच्या तिसऱ्या युद्धात इंग्रज निजाम व पेशवे तिन्हींनी टीपूवर हल्ला चढविला होता. पेशवाई सैन्य भाऊंच्या तैनातीत होते. सदरहून सैन्याने इतर सर्व प्रदेशात लूटमार आणि विनाश तर पसरविलाच परंतु श्रीनगरीसारखे स्थळही त्यांच्या हातून वाचू शकले नाही. शंकराचार्यांनी टीपू सुलतानला लिहिले की पेशवाई सैन्याने श्रीनगरातील मठ लुटून उध्दवस्त केला आहे. शारदा देवतेची मूर्ती देखील आपल्या जागेतून उखडून फेकून टाकली आहे. मठातील हत्ती व घोडे इत्यादी सर्व मराठी सैन्याने लुटून नेले आहे. 

याचे उत्तर टीपू सुलतानने मोहरब्बानी ३० इ. स.१७९१ ला खालीलप्रमाणे दिले आहे. आमच्या मुलुखावर हल्ला चढवून जे आमच्या रयतेला छळीत आहेत त्या शत्रुंना आम्ही शिक्षा करीत आहोत. आपण सार त्याग केलेले विभूती आहात म्हणून शत्रूंचा नाश व्हावा यासाठी ईश्वराकडे प्रार्थना करणे आपले व मंदिरातील इतर ब्राम्हणांचे कर्तव्य आहे. जेणेकरुन देश सुरक्षित व रयत सुखी आणि आनंदित रहावी.

दुसऱ्या एका पत्रात स्वामीजींनी सुलतानला लिहिले होते की त्यांना अन्य एका ठिकाणी मुक्काम हलविणे भाग पडले आहे. तसेच पेशव्यांच्या सैन्यांनी मंदिरात शिरुन ब्राम्हणांना ठार व जखमी केले आहे. शिवाय मंदिरातील सर्व मालमत्ता लुटून नेली आहे. म्हणूनच सरकारच्या मदतीशिवाय शारदादेवीच्या मूर्तीची प्रतिष्ठापना होणे शक्य नाही यांच्या उत्तरात सुलतानने लिहिले पवित्र स्थळांचे अनादर करताना देखील जे लोक नाहीत या कलियुगात क्वचितच आपली कडू फळे मिळतील. लोक वाईट क्रुत्य हसत हसत करतात परंतु त्यांची कडू फळे रडत रडत चाखतील. शंकराचार्यांशी द्रोह म्हणजेच स्वतःचे वंश निर्मूलन करणे होय.  

या पत्रासह टीपू सुलतानने एक आज्ञापत्रही नगरप्रमुखाच्या नावाने पाठविले होते. त्यात त्या प्रमुखाला हुकूम दिलेला होता की दोनशे राहती अशरफी रोख व दोनशे राहती किंमतीचे खाद्यान तुरंत स्वामीजींच्या सेवेत पाठविले जावेत. सदरहून पत्रात सुलतानने स्वामीजींना लिहिले होते.

'इनामी गावामधून वस्तूंची गरज असेल ती घेण्याचा आपणास अधिकार आहे. पाठविलेली रक्कम आणि अन्नपदार्थातून शारदादेवतेच्या मूर्तीची प्रतिष्ठापना करताना ब्राम्हणांना भोजन दिले जावे व आमच्या शत्रूंच्या विनाशासाठी प्रार्थना केली जावी.

आणखीन एक सुलतानचे पत्र 'आपण पाठविलेला प्रसाद आणि शाली मिळाल्या आहेत. आपल्या उपयोगासाठी एक शालजोडी व देवीच्या मूर्तीसाठी वस्त्रे पाठविली जात आहेत. 

जाकरी महिन्यात सुलतानने आणखी एक पत्र लिहिले आहे. त्यात स्वामीजींना कळविले आहे की 'त्यांच्या खास स्वामीसाठी एक हत्ती पाठविला जात आहे. याच पत्रात टीपूने आपल्या अधिकाऱ्यांच्या नावे जे आज्ञापत्र लिहिले होते त्याची नक्कलही जोडलेली होती. त्या आज्ञापत्रात बजावले गेले होते की स्वामीजींच्या शिष्यांवर बाहेर येण्या जाण्या संबंधी कोणतेही बंधन घातले जाऊ नये.'

हैदरी महिन्यातील एका नोंदीवरुन कळते कि स्वामीजींनी मठातील दोन विशिष्ट पूजाविधी पार पाडण्यासाठी सुलतानकडे आर्थिक सहाय्य मागितले होते. सदरहून पूजा ४८ दिवसांपर्यंत दररोज होणार होती. सुलतानने त्या विधीला मदत करण्याचे मान्य केले होते. त्यानुसार त्याने नगर प्रमुखाला आज्ञा जारी केली की श्रीनगरी पाहून व्यवस्था परिपूर्ण करण्यात स्वामीजींशी सहकार्य करावे. हैदरी महिन्यात स्वामीजींना देखील टीपू सुलतानने एक पत्र लिहिले की 'आपल्या इच्छेनुसार पूजेच्या काळात दररोज सहस्त्र ब्राह्मण भोजनासाठी व रोख रक्कम देण्यासाठी नगर प्रमुखाला हुकूम दिलेला आहे.'

दीनी महिन्यातील चार नोंदी आजही मंदिरात मौजूद आहेत. त्यापैकी पहिल्या नोंदीत नगरप्रमुख महमंद रजाखानला आदेश मिळाला आहे की पूजेच्या काळात विशिष्ट व्यवस्था ठेवावी जेणेकरुन खोडसाळ लोकांकडून मठाच्या कामकाजात बाधा येऊ नये. आणखीन एका नोंदीत टीपूने कळविले आहे की शारदा देवतेच्या मूर्तीसाठी एक पालखी व स्वामीजींच्या वापरासाठी दुसरी एक पालखी चोबदार फकीर महमंद समवेत पाठविली जात आहे.

तर जाकिरी महिन्यातील एका नोंदीत लिहिले आहे की लबाडी टोळीच्या हल्ल्यापासून मंदिर सुरक्षित ठेवण्यासाठी पायदलातील सैनिकांना मंदिराच्या रक्षणासाठी नियुक्त केले आहे. लंबाडी जंगलात राहणारी एक हिंदूजात आहे जिला 'सगाली' असेही म्हटले जाते. याच मंदिरात आणखीन एक नोंद आहे त्यात नगर जिल्हाप्रमुख सय्यद महंमद याला टीपूने लिहिले आहे 'स्वामीजी समुद्र स्नानासाठी जाणार आहेत त्यांना प्रवासात सर्व गरजेच्या वस्तू पुरविल्या जाव्यात.' टीपू सुलतानची धार्मिक सहिष्णुता दाखविणारे असे कितीतरी पुरावे आजही जिवंत आहेत. रब्बानी महिन्यातील एका नोंदीवरुन हे जास्तच स्पष्ट होते. रब्बानी महिन्यात सुलतानाने स्वामीजींना कळविले आहे की त्यांच्या उपयोगासाठी दोन चांदीच्या चिनूर पाठविलेल्या आहेत असे वाटते की स्वामीजींनी सुलतानला विनंती करताना अशी इच्छा दर्शवली होती की ते स्वत: पर्रशुराम भाऊकडे जाऊन पेशवाई सैन्याने मठातील सर्व लुटून नेलेली मालमत्ता परत करण्याची त्यांना विनंती करतील. याच्या उत्तरात टीपूने स्वामीजींना रहदारीचा परवाना देताना सर्व अधिकाऱ्यांना लिहिले आहे की स्वामीजींना प्रवासातील सर्व प्रकारच्या सवलती व गरजेच्या सर्व वस्तू उपलब्ध करुन दिल्या जाव्यात. याच पत्रात टीपूने स्वामीजींच्या उपयोगासाठी शाली, हत्ती, नौबत, नगारा आणि झेंडा पाठविल्याचा उल्लेख केला आहे. या सर्व वस्तू त्याने स्वामीजींना आपल्याकडून भेट म्हणून दिल्या होत्या. 

अशाच एका अहवालावर नजर टाकली असता हे स्पष्ट होते की स्वामीजी पुण्याला पोहोचले व पर्रशुराम भाऊच्या त्यांनी गाठी भेटी घेतल्या. परंतु त्यांना यश मिळाले नाही म्हणून त्यांना तेथे जास्त काळ रहावे लागले. यामुळेही टीपू सुलतानने त्यांना एक पत्र लिहिले हे पत्र 'रजी' महिन्यातील असून प्लेट क्र. ७०, ३ यात आज ही सुरक्षित आहे त्यात तो लिहितो

'आपण जगत गुरु आहात. जगाच्या कल्याणासाठी आपण नेहमी उपासमग्न असता. ज्या देशात आपल्यासारख्या पवित्र विभूतीचे अस्तित्व असेल त्या देशात ईश्वरक्रुपा वास करते. चांगली वर्षा व उत्तम पिके येतात. एका परक्या देशात इतका दिर्घकाळ थांबण्याची आपणास गरज काय ? आपले काम लवकर आटोपून स्वदेशात परत यावे. 

अशाच प्रकारच्या रब्बानी महिन्यातील एका पत्रात सुलतान टीपूने स्वामीजींना कळविले आहे. 'आपल्या आदेशानुसार धर्मशाळेत ब्राम्हणांना भोजन दिले जात आहे. आपल्या सुखपतेसंबंधी वेळोवेळी कळवीत रहावे. 

इ. स. १७९८ मध्ये स्वामीजींनी कळविले आहे की ते पुण्याहून परत येणार आहेत त्याच्या उत्तरात टीपूने आपल्या अधिकाऱ्यांना आदेश जारी केला आहे "वाटेत स्वामीजींना गरजेच्या वस्तू पुरविल्या जाव्यात व त्यांचा मान व प्रतिष्ठेचा आदर केला जावा." 

या आणखीन एका पत्रात सुलतानने स्वामीजींना विनंती केली आहे की राजधानीत येऊन दर्शन देण्याची क्रुपा करावी. आतापर्यंत जे काही लिहिले गेले आहे ते श्रीनगरीच्या मठाशी संबंधित आहे. सदरहू मंदिर संपूर्ण दक्षिण भारत आणि म्हैसुरात अत्यंत पवित्र व शुभ मानले जाते. येथील स्वामी बव्हंशी राजांचे धार्मिक नेते समजले जातात. हिंदूंचे वैभवशाली राज्य विजय नगर येथील राज्यांचे धार्मिक नेते याच मठातील ब्राह्मण स्वामी होते. टीपू सुलतान सदरहू मंदिर व त्यातील स्वामींशी कशा प्रकारे वागला आहे याचे बोलके पुरावे वर उल्लेखित सर्व ऐतिहासिक नोंदी व अहवाल सादर करीत आहोत. हे पुरावे अद्यापही मंदिरात सुरक्षित आहेत त्याचप्रमाणे टीपूच्या राज्यातील इतर सर्व मंदिरात देखील अशाच प्रकारचे ऐतिहासिक पुरावे उपलब्ध आहेत. 

याशिवाय टिपू सुलतानची धार्मिक सहिष्णुता आणि त्याच्या उदारतेचे उदाहरण यापेक्षा मोठे अन्य कोणते असू शकते की सरकारी नोकरीत त्याने मुसलमानांबरोबरच हिंदूंनादेखील मोठमोठे हुद्दे दिले होते. पुर्निया ज्याचे नाव मीर सादीक प्रमाणेच लहान लहान मुलांच्याही तोंडात आहे त्याच्या राज्याचा दिवान होता. श्रीरंगपट्टनम आणि बंगलूर येथील किल्ल्यांना राज्यात अनन्यसाधारण महत्त्व होते. या किल्ल्याचे प्रमुख किशनराव व शताबराय होते. पोस्ट विभागाचा प्रमुख अजयश्याम होता. याशिवाय टीपूच्या राज्यातील सैन्य व शासकीय यादी पडताळली गेली तर कळविण्यात येईल की हिंदू अधिकाऱ्यांची संख्याही मुसलमान अधिकाऱ्यांच्या संख्येपेक्षा काही कमी नव्हती. ग्राम व खेड्यांचे शानभोग सर्वचे सर्व ब्राह्मण होते तसेच पाटील एक तर ब्राह्मण किंवा इतर हिंदू जातीचेच असत. 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यांनी आपले व्रुत्तपत्र 'यंग इंडिया' यात टीपू सुलतानला वाहिलेल्या आदरांजलीत लिहिले आहे. 'टिपू सुलतान स्वावलंबी सत्ताधीश होता. परंतु आपले जमाखर्च अरबी भाषेत ठेवण्यास हिंदू सावकारांना भाग पाडावे असे विचार त्याच्या मनात कधी आले नाहीत. याउलट त्याने आपल्या राष्ट्रीय भाषेत शंकराचार्यांच्या पत्रांची उत्तरे देताना त्यांच्याकडे तोस्पयेची विनंती आणि आपल्या देशाचे भले व सर्व जगाच्या कल्याणासाठी प्रार्थनेची इच्छा केली होती. कारण पुण्यशीलांच्या पायगुणामुळे पाऊस पडतो व पिके उत्तम येतात. हे पत्र सुवर्ण अक्षरांनी लिहिण्याजोगे आहे. टिपूने हिंदू मंदिरासाठी अत्यंत उदारतेने जायदादी धर्मदाय केल्या आहेत. खुद्द टिपूच्या महालाभोवती श्री व्यंकट रामण्णा श्रीनिवास आणि श्रीरंगनाथाच्या मंदिराचे अस्तित्व सुलतानच्या उदारव्रुत्ती आणि धार्मिक सहिष्णुतेचे पुरावे आहेत. यावरुन हे सिध्द होते की शहिद टिपू सुलतान यापेक्षा श्रेष्ठ राष्ट्रीय हुतात्मा कुणी दुसरा सापडणे नाही. अल्लाहची उपासना करताना हिंदूंच्या पूजेतील घंटा निनादामुळे तो कधी त्रासला जात नव्हता. टीपूचे हे दिव्य वचन आम्हीदेखील स्मरणात ठेवले पाहिजे. 

'दोन दिवस सिंहाप्रमाणे जगणे हे कुत्र्यांच्या दोनशे वर्षाच्या जगण्यापेक्षा श्रेष्ठ आहे. 'हे अल्लाह' युध्दाचे हे ढग ज्यांच्यातून आमच्या शिरावर रक्त ठिबकत असावे. मानहानी व निर्लज्जतेने जगण्यापेक्षा मरण पत्करणे शतपट बेहत्तर आहे.' 

अमर शहीद शेरे हिंद टिपू सुलतान (रह.) यांचा हा आम्हास संदेश . 

मुजफ्फरभाई सय्यद

कार्याध्यक्ष

अ. भा. साहित्य कलामंच

९९६०३२५०५७


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मुस्लिम आरक्षणाचे वास्तव - MUSLIM RESERVATION...

मराठवाड्यातील पहिले बॅरिस्टर- उमर कमाल फारुकी 1st barrister...


दुचाकी भेट - मानवसेवा - MANAVSEVA PROJECT

मानवसेवा प्रकल्पाला दुचाकी गाडीची भेट

अहमदनगर -

अनेक सामाजसेवी संस्थांच्या कार्याला बळ देणारे आणि प्रेरित स्वयंसेवकांमध्ये सामाजिक विचारांची परिपक्वता निर्माण करणारे आमचे मार्गदर्शक व आधारस्तंभ मा. श्री भरतभाऊ बागरेचा यांनी आज दि.१६/११/२०२० रोजी श्री अमृतवाहिनी ग्रामविकास मंडळाच्या *"मानवसेवा"* प्रकल्पाला (रस्त्यावरील बेघर, निराधार मनोरुग्णांचे हक्काचे घर) स्वत: वापरत असलेली दुचाकी गाडी पाडव्याच्या शुभमुहर्तावर देणगीदाखल दिली. आज ही गाडी मिळताच सर्व निराधार माता-भगिनीं व बंधुंच्या चेह-यावर आनंद पहावयास मिळाला. मानवसेवा प्रकल्पातील लाभार्थ्यांनी या गाडीची पुजा देखील केली. मा. श्री भरत भाऊ आपल्या या मदतीने संस्थेच्या कार्याला नवी ऊर्जा मिळाली. आम्ही आपले मनापासून ऋणी आहोत. 

*मानवसेवा हीच, ईश्वराची सेवा!*

🙏🙏🌹🇳🇪🌹🙏🙏

*मानवसेवा प्रकल्प*

(मन व घर हरवलेल्या मानसांच•• हक्काचे घर)

द्वारा- *श्री अमृतवाहिनी ग्रामविकास मंडळ* 

☎ ०२४१ २४२९९४२

📱 ९०११७७२२३३

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अगर है शौक़े सफ़र तो हमारे साथ चलो,। नहीं है मौत का डर तो हमारे साथ चलो !

शिष्यवृत्ती परिक्षेत तन्मय आडेप राज्यात तृतीय ...

मन सुन्न करणारी घटना...!- Manavseva..

जागतिक दयाळू दिन - World Kindness Day..

एम आय एम अशोकनगर अध्यक्ष पदी समीर शेख - AIMIM Ahmednagar

एम आय एम अशोकनगर अध्यक्ष पदी समीर शेख


श्रीरामपूर - अहमदनगर

एम आय एम श्रीरामपूर तालुक्याची बैठक अशोक नगर येथे घेण्यात आली. अशोक नगर अध्यक्ष पदा बाबत चर्चा करण्यात आली. बैठकीत एक मताने समीर शेख यांची निवड करण्यात आली. एम आय एम जिल्हा अध्यक्ष डॉ परवेज अशरफी यांच्या आदेशाने व जिल्हा उपाध्यक्ष यांच्या मार्गर्शनाखाली व एम आय एम श्रीरामपूर तालुका अध्यक्ष शकील शेख यांच्या अध्यक्षतखाली अशोक नगर येथे समीर शेख यांना नियुक्ती पत्र देण्यात आले. त्याच बरोबर अशोक नगर कार्यकारणी जाहीर करण्यात आली. कार्यकारणी अशोक नगर अध्यक्ष समीर शेख, उपाध्यक्ष अय्युब शेख,  सचिव मनोज सूभास काळे,   सहसचिव  जमिल  शेख  कार्यअध्यक्ष सागर रमेस मगरे , खजिंनदार अरबाज निजाम पठान मेडिया प्रमूख सोहेल रऊफ शेख अशोक नगर प्रसिधी प्रमुख अनिल रगूनाथ जगधने , सल्लागार आजिम यासीन पठान,  सह सल्लगार रमेस शंकर गागूर्ड्   संगठक अल्ताफ यूनूस सय्यद

यावेळी  तालुका अध्यक्ष शकील भाई शेख तालुका उपाध्यक्ष यूनूस भाई शेख  शहर अध्यक्ष यूनुस भाई शेख शहर उपाध्यक्ष आमोल रूपट्के  शहर सचिव नावेद पटेल शहर सलागार शाहरुख मन्सूरी  व  पक्षाचे कार्यकर्ता उपस्थित होते


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एम आय एम उंदिरगाव अध्यक्ष पदी अमीर शेख ...

एम आय एम हरेगाव अध्यक्ष पदी अविनाश वाहुळ...

ओवेसी का समर्थन क्यो करती है युवा पिढी?...

एम आय एम मानोरी गाव अध्यक्ष पदी शाहरुख शेख...

एम आय एम मानोरी विद्यार्थी अध्यक्ष पदी सोहेल शेख यांची निवड...


एम आय एम मानोरी विद्यार्थी अध्यक्ष पदी सोहेल शेख यांची निवड - AIMIM Ahmednagar

एम आय एम मानोरी विद्यार्थी अध्यक्ष पदी सोहेल शेख यांची निवड 


राहुरी - अहमदनगर 


एम आय एम राहुरीची बैठक मानोरी येथे घेण्यात आली. यावेळी मानोरी गाव विद्यार्थी अध्यक्ष नियुक्ती बाबत चर्चा करण्यात आले. एम आय एम जिल्हा अध्यक्ष डॉ परवेज अशरफी आणि विद्यार्थी जिल्हा अध्यक्ष शाहनवाज तांबोळी यांच्या आदेशाने व राहुरी तालुका अध्यक्ष नवीद बागवान यांच्या अध्यक्षते खाली बैठक आयोजीत करण्यात आली होती. 

मानोरी गाव विद्यार्थी अध्यक्ष पदी सोहेल शेख यांची निवड करण्यात आली व नियुक्तीचे पत्र देण्यात आले. विद्यार्थी तालुका अध्यक्ष सहील शेख यांनी सांगितले की एम आय एम पक्ष ज्या प्रकारे पूर्ण जिल्ह्यात विस्तार होत आहे त्या प्रमाणे राहुरी तालुक्यात ही विस्तार होत आहे. राहुरी तालुक्यातील प्रत्येक गावात एम आय एम ची शाखा असेल अशी गवाही साहिल शेख यांनी दिली.एम आय एम तालुका अध्यक्ष नवीद बागवान यांनी सांगितले की एम आय एम अता ह्य्देराबाडचा पक्ष नसून महाराष्ट्र बरोबर बिहार मध्येही पक्षाचे आमदार निवडून आले. सामान्य जनता सद्या परियाय शोधात आहे. ज्या प्रमाणे पक्षाचे राष्ट्रीय अद्याक्षांना युवा पिढी मानत आहे त्यामुळे पूर्ण देशात पक्ष बळकट होणार आहे. महाराष्ट्राची जबाबदारी प्रदेश अध्यक्ष खासदार इम्तियाज जलील आणि प्रदेश कार्याध्यक्ष डॉ गफ्फार कादरी यांच्यावर सोपवली आहे. त्याच प्रमाणे अहमदनगर जिल्ह्याची जबाबदारी जिल्हा अध्यक्ष डॉ परवेज अशरफी यांना देण्यात आली आहे. राहुरी तालुक्यातही सामान्य जनता प्रस्तापितांना परियाय शोधात असल्याने एम आय एम हा परीयाय योग्यच असेही नवीद बागवान म्हाणाले. राहुरी तालुकात लवकरच गावागावात एम आय एम ची शाख दिलसे अशी गव्हाही बागवान यांनी दिली.

मानोरी गाव नवनिर्वाचित विद्यार्थी अध्यक्ष सोहेल शेख यांनी सर्वांचे आभार मानले आणी मानोरी गावात पक्ष बळकट करणार असल्याची हामी दिली.  

यावेळी एम आय एम तालुका अध्यक्ष नवीद बागवान, विद्यार्थी आघाडी अध्यक्ष साहिल भाई शेख पटेल,तालुका उपाध्यक्ष मुद्दसर पटेल, तालुका सचीव अतीक भाई बागवान,अतीक बागवान, अख्तर मणियार, साहील शेख आदी कार्यकर्ते उपस्तीती होते. 

  

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एम आय एम मानोरी गाव अध्यक्ष पदी शाहरुख शेख AIMIM

एम आय एम हरेगाव अध्यक्ष पदी अविनाश वाहुळ- AIMIM .

एम आय एम उंदिरगाव अध्यक्ष पदी ...




एम आय एम मानोरी गाव अध्यक्ष पदी शाहरुख शेख AIMIM AHMEDNAGAR

 एम आय एम मानोरी गाव अध्यक्ष पदी शाहरुख शेख 

राहुरी - अहमदनगर 

एम आय एम राहुरीची बैठक मानोरी येथे घेण्यात आली. यावेळी मानोरी गाव अध्यक्ष नियुक्ती बाबत चर्चा करण्यात आले. एम आय एम जिल्हा अध्यक्ष डॉ परवेज अशरफी यांच्या आदेशाने व राहुरी तालुका अध्यक्ष नवीद बागवान यांच्या अध्यक्षते खाली बैठक आयोजीत करण्यात आली होती. 
मानोरी गाव अध्यक्ष पदी शाहरुख शेख यांची निवड करण्यात आली व नियुक्तीचे पत्र देण्यात आले. नवीद बागवान यांनी सांगितले की एम आय एम अता ह्य्देराबाडचा पक्ष नसून महाराष्ट्र बरोबर बिहार मध्येही पक्षाचे आमदार निवडून आले. सामान्य जनता सद्या परियाय शोधात आहे. ज्या प्रमाणे पक्षाचे राष्ट्रीय अद्याक्षांना युवा पिढी मानत आहे त्यामुळे पूर्ण देशात पक्ष बळकट होणार आहे. महाराष्ट्राची जबाबदारी प्रदेश अध्यक्ष खासदार इम्तियाज जलील आणि   प्रदेश कार्याध्यक्ष डॉ गफ्फार कादरी यांच्यावर  सोपवली आहे. त्याच प्रमाणे अहमदनगर जिल्ह्याची जबाबदारी जिल्हा अध्यक्ष डॉ परवेज अशरफी यांना देण्यात आली आहे. राहुरी तालुक्यातही सामान्य जनता प्रस्तापितांना परियाय शोधात असल्याने एम आय एम हा परीयाय योग्यच असेही नवीद बागवान म्हाणाले. राहुरी तालुकात लवकरच गावागावात एम आय एम ची शाख दिलसे अशी गव्हाही बागवान यांनी दिली.
मानोरी गाव नवनिर्वाचित अध्यक्ष शाहरुख शेख यांनी सर्वांचे आभार मानले आणी मानोरी गावात पक्ष बळकट करणार असल्याची हामी दिली.  
यावेळी एम आय एम तालुका अध्यक्ष  नवीद बागवान, मुदस्सर पटेल, अतीक बागवान अख्तर मणियार, साहील शेख आदी कार्यकर्ते उपस्तीती होते. 

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मुस्लिम आरक्षणाचे वास्तव - MUSLIM RESERVATION

 मुस्लिम आरक्षणाचे वास्तव 

महाराष्ट्र -

भारतात सध्या निवडणुकांचे राजकारण विधिनिषेध शुन्य होत चालले आहे. याचे महत्त्वाचे एक कारण असे आहे की, आपले राजकीय पक्ष हे संसदीय लोकशाहीला आवश्यक असलेल्या जबाबदार समाजकारण करणारे, जनतेच्या इच्छा, आकांक्षा त्यांचे प्रश्न सोडविण्याचे माध्यम राहिलेले नाही. देशात आता आपले राजकीय पक्ष हे जातीचे, धर्मवादी संघटनांचे, भाषा आणि संकुचित प्रदेशवादाच्या माध्यमातून सत्ता बळकविणाऱ्या गटांचे प्रतिनिधी झालेले आहेत. कुठल्याही थराला जाऊन सत्ता हस्तगत करणे व आपल्या स्वार्थासाठी राज्यकारभार करणाऱ्या संघटना म्हणजेच आपले राजकीय पक्ष अशी आजची स्थिती आहे. तेव्हा कोणताही राजकीय पक्ष सत्तेवर आला तरी भारतातील सामान्य दलित, शोषित, पिडीत, अल्पसंख्याक, गोरगरीब जनतेचे प्रश्न मात्र तसेच राहतात. या सर्व गोष्टींना कंटाळून जनता ही अलिकडच्या दशकांपासून राजकीय पक्षांच्या बाबतीत वैफल्यग्रस्त झालेली आहे. राजकीय पक्षांनी नव्वदीच्या दशकापासूनच आपली सामाजिक बांधिलकी गमावलेली आहे. त्यामुळे निवडणूक नितीतही बदल झालेला आहे. प्रत्येक राजकीय पक्ष निवडणुका जिंकण्याकरिता सर्व सामान्यांचे खरे - खुरे प्रश्न सोडविण्याचा प्रयत्न करण्याऐवजी धर्म, भाषा, संस्कृती, जात - पात, भेद - भाव असे अनेक प्रश्न उभे करुन जनतेच्या मूळ प्रश्नांना बगल देऊन त्यांच्या भावना चेतवून, पेटवून मते मिळविण्याचे राजकारण करण्यात गुंग झालेले आहेत. निवडणूक जिंकण्याकरीता कुठल्याही थराला जाण्याची कितीही खालची पातळी गाठण्याची जणू काय देशात स्पर्धाच लागलेली आहे. 
या तंत्रात देशात असणारे मोठे पक्ष काँग्रेस व भाजप हे पक्ष सर्वात अग्रेसर आहेत. निवडणुका आल्या की, त्या नजरेसमोर ठेवून जनतेला भ्रामक आश्वासने, फसव्या घोषणा, विविध प्रकारची आमिषे दाखवून जास्तीत जास्त मते आपल्या पदरात पाडून घेण्याचे अवलंबीले जात आहे. काँग्रेसच्या हातातील एक मुख्य व खास अस्त्र म्हणजेच मुस्लिम मतदार निवडणुका नजरेसमोर दिसू लागल्या की, अल्पसंख्यांकांवर फसव्या घोषणा आणि फसव्या आश्वासनांचा पाऊस पाडून त्यांची मते पदरात कशी पडतील हे पाहिले जाते. गेली ७० वर्षे काँग्रेस पक्ष हेच करीत आला आहे. याउलट भाजप व त्याचे समर्थक १९८९ - ९० पासून मंदिर, मशीद, भाषा, प्रांत, व्यक्तिगत कायदा, मुसलमानांची तयाकथीत धर्माधंता या प्रश्नांच्या आधारे समाजा - समाजामध्ये असंतोष पेटवून मुस्लिम विरोधी वातावरण भडकावून हिंदू मतांच्या आधारे सत्ता हस्तगत करण्याचे तंत्र विकसित केले आहे. शेवटी या दोन्ही राजकीय पक्षांचे निवडणूक टारगेट मुसलमानच आहेत. काँग्रेस भूलथापा, फसवी आश्वासने देऊन मुस्लिम समुदायाला लटकत ठेवतो तर भाजपा मुस्लिम विरोधी वातावरण तापवून आपली राजकीय पोळी भाजण्याचा प्रयत्न करतो.
निवडणुकीचे वारे देशात वाहू लागल्यानंतर मुस्लिमांना ८ टक्के आरक्षण देण्याची शिफारस रहिमान समितीने केली होती. हे आरक्षण जणू काय काँग्रेसने खास आपल्यालाच दिले आहे असे समजून काही ठिकाणी भोळ्या भाबड्या मुसलमानांनी आनंद व्यक्त केला तर भाजप व त्याचे सहकारी हे आरक्षण मुसलमानांना धार्मिक निकषावर दिले जात आहे म्हणून घटनेविरोधी आहे अशी ओरड सुरु केली आहे. तसे पाहता धार्मिक निकषावर आरक्षण देण्याची घटनेमध्ये कुठेण तरतूद नाही. मग हे ८ % आरक्षणाचे म्रुगजळ का ? तसे पाहिल्यास गेल्या कित्येक वर्षांपासून अनेक आयोग नेमण्यात आले. मात्र प्रत्यक्षात अशा आयोगाच्या शिफारशींची अंमलबजावणी किती प्रमाणात होते ? हा अत्यंत महत्त्वाचा प्रश्न आहे. अंमलबजावणी काही नाही मात्र अल्पसंख्यांकावर सवलतींचा वर्षाव अशा प्रकारे जाहिर प्रसिद्धी दिली जाते. आरक्षणाच्या नावाखाली शासन मुसलमानांची चक्क दिशाभूलच करीत आहे. मुस्लिम विरोधकांना निवडणुकीच्या वेळी अशा प्रकारच्या घोषणा म्हणजेच मुस्लिम विरोधी हत्यारच उपलब्ध करुन दिले जात आहे. या पूर्वीही मुंबईत झालेल्या भयावह जाती दंगलीमध्ये श्रीकृष्ण आयोगाची नेमणूक करण्यात आली होती. या आयोगाने दंगलीला जबाबदार असणाऱ्यांना शिक्षा देण्याची शिफारस केली होती. मात्र प्रत्यक्षात काय घडले ? दंगलीत हात धुवून घेणारे मोकाटच सुटले मग अशा आयोगांची गरजच काय ? सच्चर समितीच्या शिफारशी फक्त कागदावर राहिल्या प्रत्यक्षात अंमलबजावणी किती ? प्रशासनात मुस्लिम विरोधी भावना असल्यामुळे अशा आयोगाच्या शिफारशीची अंमलबजावणी योग्य रित्या केली जात नाही. मात्र मुस्लिमांवर सवलतींचा वर्षाव असा कांगावा केला जातो. मुस्लिम विरोधी वातावरण निर्माण करण्यास काँग्रेसचे धोरणच कारणीभूत आहे. काँग्रेसने जातीय वाद्यांचे बुजगावणे मुस्लिमांना दाखविणे आता बंद करावे. काँग्रेस धर्मनिरपेक्ष म्हणून आपला ढोल नेहमीच बढवतो. परंतु प्रत्यक्षात काँग्रेसने धर्मनिरपेक्ष विचार कधीच अंमलात आणला नाही. देशात फोफावणाऱ्या जातीय वादाला काँग्रेसही तेवढाच जबाबदार आहे. धर्मनिरपेक्ष तत्वाला केवळ शोभेचे बाहुले बनवून न ठेवता या तत्त्वांवर जोपर्यंत काँग्रेस प्रत्यक्षपणे अंमलबजावणी करत नाही तोपर्यंत धर्मनिरपेक्षता हे एक बुजगावणेच बनून राहील. अनेक प्रकारचे आयोग नेमून मुस्लिम समुदायाची दिशाभूल अनेक वेळा करण्यात आली आहे. रहिमान आयोग सच्चर समिती या फक्त फसव्या घोषणाच ठरल्या आहेत याचा वास्तवाशी काहीही संबंध नाही. असे आयोग म्हणजे एक म्रुगजळच आहे. जोपर्यंत मुस्लिम समाज जागरुत होऊन आपल्या न्याय हक्काकरिता घटननेने दिलेल्या अधिकारात राहून व्यापक अभियान छेडत नाही तोपर्यंत मुस्लिम हा राजकीय पक्षाच्या हातातले बाहुलेच राहणार आहे. मुस्लिम समाजाने गंभीरपणे या गोष्टीचा विचार करुन समाजामध्ये जनजागृती करणे गरजेचे आहे. अन्यथा पुढील काळ समाजासाठी कठीण असेल.
 मुजफ्फरभाई सय्यद
 कार्याध्यक्ष
 अ. भा. साहित्य कलामंच
 ९९६०३२५०५७

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पुरे देश मे एम आय एम अपनी जगह बनायेंगी - अकबरुद्दीन ओवेसी AKBARUDDIN OWESI

 पुरे देश मे एम आय एम अपनी जगह बनायेंगी - अकबरुद्दीन ओवेसी 



देश - 

बिहार विधानसभा चुनाव मे जिस तरह एम आय एम ने जीत हासील की है और अपने पार्टी के ५ आमदार बिहार विधानसभा मे भेजे है उसी वजाह से एम आय एम अध्यक्ष खासदार असदुद्दिन ओवेसी का आत्मा विश्वास बडा है. एम आय एम नेते अकबरुद्दीन ओवेसी इनके बात से ये अंदाजा लगाया जा सकता है. बिहार के जीत पार हैदराबाद दरुस्लाम मे जश्न के जलसे के वक्त एम आय एम नेते अकबरुद्दीन ओवेसी ने ये कहा. हैदराबाद और दिगर इलाकोमे बाड जैसी मुसिबत के वक्त जिस तरह एम आय एम नेते अकबरुद्दीन ओवेसी और उनके सहकारी काम कर रहे है उसी के कारण एम आय एम की लोकप्रियता दिन ब दिन बड रही है. अकबरुद्दीन ओवेसी ने बाड से पिडीत जनता को हर वो मुमकिन ओवेसी फौन्डेशन के मध्यमसे  मदत किया.         

महाराष्ट्र के बाद अब बिहार मे  एम आय एम ने अपनी पार्टी मजबूती के लिये मेहनत की है. एम आय एम अध्यक्ष खासदार ओवेसी ने अब ये एलन कर दिया है की आणे वाले बंगाल और उत्तर प्रदेश मी भी चुनावी मैदान मे उतरने वाले है. जो लोग एम आय एम की मुखालीफात करते है उन्होने खुदका आत्मपरीक्षण करना जरुरी है.

जिस तरह नवजवान पिढी मजलिस के साथ जुड रही है उससे ये कहेना गलत नही होंगा की एम आय एम को नवजवान एक परियाय के रूप मे देख रही है.


पढिये -

एम आय एम और ध्रुवीकरण - AIMIM and Polarization ....   

डॉ कुणाल खरात होंगे एम आय एम के उमिदवार - AIMIM Election Dr Kunal Kharat....

सियासत और मुसलमान - AIMIM INDIA ...

ओवेसी का समर्थन क्यो करती है युवा पिढी? New Generation and Owasi ....

अगर है शौक़े सफ़र तो हमारे साथ चलो,। नहीं है मौत का डर तो हमारे साथ चलो ! CORONA 19

अगर है शौक़े सफ़र तो हमारे साथ चलो,।
नहीं है मौत का डर तो हमारे साथ चलो !


पुणे -

        मूलनिवासी मुस्लीम मंचच्या कार्यकर्त्यांना असे वाटते की, आपण जे काम करीत आहोत त्यातून आपल्याला पुण्यमिळेल, सवाब मिळेल. माणुसकीचे नाते जपता येईल, असे विचार घेऊन ते कार्य करीत आहेत. त्यांच्या कुटुंबाचा त्यांना पाठिंबा आहे. मंचने जेव्हा दहन, दफनच्या कार्यास सुरूवात केली,बातम्या येऊ लागल्या तेव्हा जवळचे मित्र त्यांना पाहिल्या नंतर बोलत नव्हते. असे कार्य करू नये, असा सल्ला देत होते, कुटुंबाची आठवण करून देत होते. मदत तर नव्हती, उपदेश होते. मंचचे कार्यकर्ते त्यांच्याकडे दुर्लक्ष करून सकारात्मक विचार करून लोकांना मदत करीत होते. प्रसंगी स्वत:च्याखिशातील पैसे खर्च करून काम करीत होते. असेच काम पुढेही करण्याचे ठरविले आहे. लॉक- डाऊन मुळे कार्यकर्त्यांचीही परिस्थिती कठीणच आहे तरीही त्यांचा आत्मविश्वास आहे. भारत माझा देश आहे, भारतातील सर्वजण माझे बांधव आहेत या विश्वासाने मूलनिवासी मुस्लीम मंच व त्यांच्या सहकारी संस्था कार्य करीत आहेत._ 

     हिंदूंचे दहन केलेल्यांची काही उदाहरणे 

        डॉ. प्रतिभा मोरेश्वर भोळे मराठीतील सांस्कृतिक क्षेत्रात अत्यंत मानाचे स्थान असणाऱ्या ज्येष्ठ गायिका जोत्स्ना भोळे यांची नात प्रतिभा मोरेश्वर भोळे यांचे १ सप्टेंबर, २०२० रोजी दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल,पुणे येथे अल्पशा आजाराने निधन झाले. त्या सुप्रसिद्ध अंध कवयिती होत्या व अंधांसाठी त्यांनी भरीव कार्य केले. प्रतिभा भोळे अंध असल्यामुळे साहित्य क्षेत्रात स्थान मिळविण्यासाठी त्यांना फार मोठा संघर्ष करावा लागला. तसेच अंध व दिव्यांगनां साठी काम करणारी स्वयं- -सेविका म्हणून त्या सर्वपरिचित होत्या. त्यांच्या कार्याची दखल घेऊन शासकीय व खाजगी संस्थांमार्फत अनेक पुरस्कार प्रदान केले होते. त्यांचा मित्र परिवार मोठा होता आणि नातेवाईकांचा गोतावळा मोठा होता. परंतु अखेरच्या क्षणी, त्यांच्या पती शिवाय त्यांच्या जवळ कोणीच नव्हते. प्रतिभा भोळेंच्या मृत्यूनंतर अंतिम संस्कार करण्यासाठी जवळचे मित्र,नातेवाईक कोरोनामुळे येण्यास तयार नव्हते. प्रतिभा भोळे यांचे पती सुनिल परमार यांनी मूलनिवासी मुस्लीम मंचाच्या पदाधिकाऱ्यांशी संपर्क साधला.अवघ्या वीस मिनिटात कार्यकर्ते मदतीसाठी पोहोचले. प्रेतासंबंधी आवश्यक ते कागदपत्रे पूर्ण करून, प्रेत दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल कडून आपल्या ताब्यात घेतले. पतीला सोबत घेऊन पुण्यातील नवी पेठ येथील वैकुंठ स्मशान भूमीत हिंदू रितीरिवाजा प्रमाणे अंत्यसंस्कार केले.डॉक्टरप्रतिभा भोळे यांचा अंत्यसंस्कार आमच्या हातून होणे हे आमच्या साठी भाग्याचे लक्षण आहे असे आम्ही मानतो, असे मूलनिवासी मुस्लीम मंचाचे अध्यक्ष अंजुम इनामदार व त्यांचे सहकारी साबीर शेख तोपखाना, जमीर मोमीन, मौलाना शकील शेख,साबिर सय्यद,दानिश खान, अमजद शेख यांनी व्यक्त केले.

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एम आय एम और ध्रुवीकरण - AIMIM and Polarization ..

एम आय एम हरेगाव अध्यक्ष पदी अविनाश वाहुळ- AIMIM Ahmednagar

एम आय एम उंदिरगाव अध्यक्ष पदी अमीर शेख - AIMIM Ahmednagar..

शिष्यवृत्ती परिक्षेत तन्मय आडेप राज्यात तृतीय - Ahmednagar scholarship

 शिष्यवृत्ती परिक्षेत तन्मय आडेप राज्यात तृतीय







अहमदनगर -

महाराष्ट्र राज्य परिक्षा परिषद पुणे यांच्यावतीने फेब्रुवारी 2020 मध्ये घेण्यात आलेल्या पूर्व उच्च प्राथमिक शिष्यवृत्ती इ. 5 वी परिक्षेत अहमदनगर एज्युकेशन सोसायटीच्या भाऊसाहेब फिरोदिया हायस्कूलचा विद्यार्थी तन्मय दत्तात्रय आडेप याने 94.44 टक्के गुण मिळवून राज्यात तृतीय येण्याचा मान मिळविला आहे. 

 चि.तन्मय यास शाळेतील शिक्षकांचे मोलाचे मार्गदर्शन मिळाले. दत्तात्रय व सौ.रेणुका आडेप यांचा मुलगा आहे. त्यांचे सर्वत्र अभिनंदन होत आहे. 


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मन सुन्न करणारी घटना...

मराठवाड्यातील पहिले बॅरिस्टर- उमर कमाल फारुकी...

जागतिक दयाळू दिन - World Kindness Day..



सांगली जिल्ह्यातील मागासवर्गीय संस्था शोधून दाखवा

  सांगली जिल्ह्यातील मागासवर्गीय संस्था शोधून दाखवा            अनुसूचित जाती जमाती. इतर मागासवर्गीय जाती जमाती. भटक्या विमुक्त...

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