एम आय एम और ध्रुवीकरण - AIMIM and Polarization

 एम आय एम और ध्रुवीकरण


देश -

बुद्धिजीवी और खुद को पोलिटिकल एनालिस्ट मानने वाले लगातार ये कहते रहते हैं के 2014 में मोदी उदय हो रहा था उसी वक्त हैदराबाद से निकल एम आय एम पार्टी और पार्टी अध्यक्ष बॅरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी राजनीती और पार्टी का प्रसार  शुरू कीया. होसकता है टाइमिंग की वजह से वो ऐसा कहते है.

 लेकिन एम आय एम आंध्रप्रदेश के वक़्त से ही अपनी छेत्रिय राजनीति में सक्रिय रही है और वहां से उनकी कोशिश ये रही के अपना रिकॉर्ड 100% रखें होसकता है ये स्ट्रेटेजी हो की लोग जब आकलन करें तो उन्हें आकंड़े मिले के 6 कैंडिडेट कांटेस्ट किये और सबने जीत दर्ज 7 ने किए सातों ने जीत दर्ज की...

और वैसे भी छेत्रिय पार्टी का अपने राज्य से निकल कर कहीं और अपनी जगह बनाना भारतीय राजनीती में तो अब तक शायद किसी ने नही दिखाया है...

राजद बरसों पुरानी सरकार बनाने वाली पार्टी है लेकिन बिहार के बाहर शून्य है, इसी तरह सपा भी है बसपा भी, आम आदमी पार्टी, महाराष्ट्र की बात करे तो शिवसेना, मनसे, राष्ट्रवादी भी इन्का भी समावेश होता है. प्रादेशिक पक्ष का प्रदेर्षण अपना प्रदेश के बाहर कूछ खास नही देखणे को मिला है.

ऐसे में जब हैदराबाद से निकलकर एम आय एम जब अपने छेत्र से निकल कर दूसरी जगह अगर अच्छा कर रही है तो ओवैसी साहब ज़रूर लोगों को पसंद आ रहे हैं उनकी स्ट्रेटेजी दूसरों से अच्छी है तब ही लोग उन्हें अपना रहे हैं और एम आय एम को जीत दिला रहे है.

असल मुद्दा ये है के लोगों का इल्ज़ाम जो है के ओवैसी के आने के बाद से ही वोटों का धुर्वीकरण होना शुरू हुआ है.ऐसा बिल्कुल भी नही है वोटों का असल धुर्वीकरण 1992 से शुरू हुआ था और इसे सबसे ज़्यादा मजबूती 2002 में मिली जब एक साथ 2000 से ज़्यादा मुसलमानों की हत्या करी गयी. 

वो गुजरात जो कांग्रेस और गांधी का गढ़ था वहाँ से कांग्रेस सत्ता से बाहेर  होगई उस क़त्ले आम के बाद आज तक वहाँ कांग्रेस अपने वोट नही तलाश पाई लोग उस क़त्ले आम से इतने खुश हैं के लगभग 20 साल बाद भी कांग्रेस को वोट नही देते.

असल वोटों का धुर्वीकरण वहीं से हुआ था और अब भी जो मुस्लिमों को काटने मारने की बात करता है बहुसंख्यक उसे वोट देते हैं और दिल खोल कर देते हैं.

कांग्रेस मुस्लिमों से वोट पाने की उम्मीद से पहले गुजरात मे अपनी ज़मीन तलाश कर ले तो ज़रूर हो सकता है दूसरी जगह की जनता भी उसे कबूल करेंगी.

एम आय एम पार्टी अध्यक्ष खासदार बॅरिस्टर असदुद्दीन जीस तरह संसद ने मुद्दो को उठाते है और जिस तरह उन्हे एम आय एम महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष खासदार इम्तियाज जलील उन्हे संसद मे साथ दे रहे ऐसा लगता है सामान्य जनता के सवाल और संविधान का सटीक मालुमात इन्हे है. 

 जिस तरह एम आय एम की चहात जनता मे बड रही है उससे ऐसा लगता है की बंगाल और उत्तर प्रदेश मे भी एम आय एम जनता को बेहतरीन परीयाय बनकर उभरेंगी.

वाचा -

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