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अमेरिका की वोट गिनती .. AMERICA VOTE COUNTING

अमेरिका में वोट गिने ही जा रहे हैं- आज  तीसरा दिन 



दुनिया - दुनिया का सबसे तकनीक आधारित देश किसी मशीन या इलेक्ट्रोनिक्स से परे, हाथ से ठप्पा लगाकर अपने नागरिकों का निर्णय गिन रहा है। इस देश के लिए सच्चाई महत्वपूर्ण है, सबसे तेज नतीजे  देना नही। किसीको कोई जल्दी नही है। आखरी वोट तक इत्मीनान से गिना जाएगा, भले पूरा हफ्ता लगे। यह सबसे पुराने लोकतंत्र का हाल है। दुनिया के दूसरे छोर पर हाल उलट है। सबसे बड़े लोकतंत्र में वोटिंग को तकनीक प्रेम का तमाशा बनाया जा चुका है। आम जनसुविधाओं में भिखारीमाल देश, वोटिंग में स्पेस एज टेक्नोलॉजी का दिखावा करता है। क्या इसलिए कि फटाफट नतीजी आये, झटपट सरकार बने। इतनी जल्दी क्यों है भाई???  यह सोचना जरुरी है. 

         इ वी एम  का उल्लेख संविधान  में नही है। यह संसद, कानून या विधिद्वारा स्थापित प्रक्रिया नही है। यह किसी एक इलेक्शन कमिश्नर यांनी निवडणूक अधिकारी  के एक आदेश  द्वारा एक पहल है। इलेक्शन कमिश्नर - एक आईएएस, एक नौकरशाह, संसदीय प्रक्रियाओं द्वारा नियुक्त एक पटवारी है। इससे अधिक कुछ नही। जब मशीन का उपयोग शुरू हुआ, किसी को शकों शुबहा न था। बीस साल बाद हजारों सवाल उठ चुके हैं। इसलिए कि बीस साल में तकनीक ने लम्बा सफर तय कर लिया है। आज की हर तकनीक, बीस साल पहले की हर तकनीक को बौना, बचकाना और आदिम साबित कर चुकी है. 

        इ वी एम पवित्र है या नही, टेम्पर या हैक हो सकती है या नहीं.. यह बहस को दूसरी दिशा में ले जाता है। इस बहस को कोडिंग, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के जानकारों के बीच रहने दीजिए। हमे भला इससे मतलब क्यो हो? लोकतंत्र में जी रहे साधारण नागरिक को अपने वोट के गिनती किये जाने से मतलब है। राजव्यवस्था, इलेक्शन कमीशन और कोर्ट्स को सिर्फ यह इंश्योर करना है कि आम नागरिक का वोट गिनती करे। वह भी एक पारदर्शी, रिचेकिंग के योग्य, एविडेंस बेस्ड प्रक्रिया से .और "इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक अपारदर्शी प्रक्रिया है, और अपारदर्शी सिस्टम का लोकतंत्र की सबसे महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया में स्थान नही होना चाहिए"... यह जर्मनी की सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है। 

        मतपत्र से हुए चुनाव में निरीक्षक  के सामने एक एक मत खोला जाता है, चेक किया जाता है, बंडल बनते हैं, गिना जाता है। इ वी एम सीधे थोक में एक आंकड़ा देती हैं। संगणक चिप में झांक नही सकता। उसे मशीन की पवित्रता पर आस्था रखनी पड़ती हैं। जरा सोचिए- जनमत का फैसला, और आस्था के बूते ? और चेकिंग का दूसरा रास्ता भी बेशर्मी से बन्द है। व्यवस्था यह सेट की गई है कि रैंडमली सिर्फ 5% की विविपैट चेक होगी। क्या लोकतंत्र का तकाजा ये नही कि, हर एक वोट की जाचं होना चाहिए?  

        लोकतंत्र की सबसे मूल प्रक्रिया को अपने तकनीकी एडवांसमेंट का नुमाईश  बंनाने की जरूरत नही। जिंदगी की सबसे बेसिक चीजें हम सशरीर, मानवीय तरीके से करते हैं। खाना हाथ से खाते है, बच्चों पर प्यार से हाथ फेरते है। बस वैसे ही, लोकतंत्र के अस्तित्व की सबसे बेसिक प्रकिया, उसी स्पर्श भरे मानवीय तरीके से होनी चाहिए। 

यह बात हमे अमेरिका से सीखनी चाहिए।

मनीष सिंग 


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 अमेरिका टीव्ही न्यूज चेनलने राष्ट्रपती ट्रम्प चे भाषण रोखले 


वाशिंग्टन - अमेरिकाचे टीव्ही न्यूज चेनल ने आज एक ऐतिहासिक काम केले जे आज पर्यंत कोणत्याही टीव्ही चेनलवाल्यांनी साहस केले नाही. ज्या प्रकारे निवडणुकचे निकाल येत होते ट्रम्प ने मेडिया समोर गुरवारी रात्री येऊन आणी पत्रकार परिषद सुरु केली. पत्रकार परिषदेत बोलतांना ट्रम्प यांनी मत मोजणीत धांदली होत असल्याचा आरोप केला. ज्यामुळे अनेक न्यूज चेनल ने ट्रम्प यांचे भाषण प्रसारान बंद केले आणी ट्रम्प यांचे आरोपाला खोटे दाखवले.

MNSBC च्या प्रसारण बंद करून ब्रेन विलियम्स ने सांगितले की " इथे आम्ही परत अमेरिका राष्ट्रपती यांचा भाषण थांबवत आहे आणी त्यांचे भाषांत दुरुस्ती पण करत आहे.

CNN चे जेक टेप्पर यांनी ट्रम्प यांचे भाषण बंद करून सांगितले की राष्ट्रपतीच्या निवडणूक मध्ये आपल्याला खोटे ऐकावे लागता आहे आणी ट्रम्प हे फक्त खोटआणी खोटे बोलू राहिले, त्यांच्याकळे कोणताही पुरावा नसल्याचा टेप्पर यांनी सांगितले.

या अगोदर ट्रम्प ने टीवीट करून आरोप केले होते ज्यामुळे ट्विटर ने कारवाही करून बॉल्क केले. राष्ट्रपती ट्रम्प ने केलेल्या बहुतेक टीवीटला कित्यक तास कोण्ही  लाईक आणी कमेंट केले नाही. 

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