मुस्लिम व्यक्ती शेतकरी आंदोलन में सिख पगडी पहनकर शामिल - जाने क्या है हकीकत
नजीर अहमद नाम के एक मुस्लिम व्यक्ती का फोटो व्हायरल किया जा रहा है जिसमे नजीर अहमद पगडी पहने है और ये दावा किया जा रहा है की मुस्लिम व्यक्ती सिखोवाली पगडी पहने मोर्चे मे शामिल हुआ है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माहिती सल्लागार तथा भाजप के प्रवक्ते शलब मनी त्रीपाठी ने नजीर अहमद के फेसबूक का फोटो शेअर करते हुए ट्विट किया है और कॅप्शन मे "लिखा घंटे भर मे किसान बनने का चमत्कार देखी है"
इससे ये जाहीर होता है के किसान आंदोलन को भाजप द्वारा बदनाम करनेके साजिश रची जा रही है और किसान आंदोलन और आंदोलन करता को देशद्रोही खलिस्तानी पाकीस्तान और शाईन बाग से जोड कर बदनाम किया जा रहा है.
पंजाब और हरियाणा के करोडो किसान उत्तर प्रदेश, दिल्ली मे आंदोलन के लिये दाखील हुए है लेकिन सरकार के एकभी मंत्री के पास इतना वक्त नही है आंदोलन करणे वालोसे से मुलाकात और बात कर सके.बलके इसके उलट आंदोलन करनेवाले किसानोको बदनाम करनेके हर तरह से कोशिश की जा रहे है.
जिस नजीर अहमद का फेसबुक फोटो लगाकर ये बताने की कोशिश की जा रही है के किसान आंदोलन में मुस्लिम व्यक्ती पगडी पहनकर शामिल हुआ है वो फोटो एप्रिल महिने का है नजीर अहमद ने अपने फेसबूक पर अपलोड किया था. आर सरकार किसान विरोधी बिल जून महीने में लेकर आई सप्टेंबर में ये बिल पारित हुआ.
नजीर अहमद के पगडी वाले ऊस फोटो का और आज के किसान आंदोलन का दूर दूर तक कोई संबंध नही है लेकिन उत्तर प्रदेश भाजप प्रवक्ते शलब मनी त्रीपाठी ने पुराने फोटो को आज के किसान आंदोलन से जोडकर ट्विट किया इसे ये साबित होता है के सरकार को किसान आंदोलन और आंदोलन करता से बातचीत में कोई दिलचस्पी नही.
बलके इस आंदोलन को किस तरह बदनाम किया जाये इस पर ज्यादा मेहनत हो रही है.
अब सवाल ये उठता है के क्या भारत का मुसलमान पगडी नहीं पहन सकता?
या भारत का मुसलमान किसान नही हो सकता?
जब भारत कृषिप्रधान देश है तो भारत में रहने वाले हर जाती धर्म के नागरिक किसान हो सकते है फिर चाहे व मुसलमान ही क्यू ना हो.
भारत के किसान सरकार से बात करने के लिए भारत की राजधानी दिल्ली पहुचे है और सरकार के वरिष्ठ मंत्री और भाजप के वरिष्ठ नेता हैदराबाद के महानगरपालिका चुनाव मे व्यस्त आहे.
क्या हैदराबाद महानगरपालिका चुनाव किसानों से भी ज्यादा जरुरी है?
अब देखना ये है की सरकार को किसानो से बात करने के लिए ये वक्त कब मिलता है.
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