मौलाना मुहम्मद अली ज़ौहर - Indian Freedom Fighter

 मौलाना मुहम्मद अली ज़ौहर - Indian Freedom Fighter


"मेरे मुल्क को आज़ादी दो या मेरे कब्र के लिए मुझे दो गज जगह दे दो, यहां मै अपने मुल्क की आज़ादी लेने आया हूं।" 

1930 के लन्दन गोलमेज़ कांफ़्रेंस में ये लरज़ती आवाज़ थी मौलाना मुहम्मद अली ज़ौहर के जो आज ही के दिन 10 दिसम्बर 1878 को रामपुर यूपी में पैदा हुए।

मौलाना अली जौहर ने अपनी पढ़ाई ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से मुकम्मल की थी पढाई के बाद रामपुर स्टेट के शिक्षा निदेशक रहे 1920 में जामिया यूनिवर्सिटी की बुनियाद रखी।

गांधी जी से प्रेरित होकर मौलाना अली जौहर ने कांग्रेस जॉइन की और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। 1922 में चौरी चौरा कांड में कई क्रांतिकारियों की शहादत के बाद असहयोग आंदोलन बिखर गया। इसके बाद मौलाना ने अंग्रेजी हुक़ूमत के खिलाफ हमदर्द पत्रिका निकालना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मौलाना को जेल में डाल दिया गया जब तक जिंदा रहे कई बार जेल में डाले गए लेकिन अपनी आख़री सांस तक अंग्रेजों की खुल के मुखालफत करते रहे।

मौलाना के इतनी कुर्बानियों के बाद भी उनको भुला दिया गया कई अरसों बाद उनके नाम पे रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी बनी थी उस पर भी बुल्डोजर चला दिया गया।

जिस मुल्क़ के लिये मौलाना ने जेल से लेकर बीमारी तक संघर्ष किया। अगर आज का हिंदुस्तान देखते तो उसी संसद में खड़े होकर जरूर सवाल करते क्या हमने इसी हिन्दोस्तान की आज़ादी का ख्वाब देखा था? 


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