अब सारा गुस्सा ओवेसी पर?

अब सारा ग़ुस्सा ओवैसी पर उतारा जायगा।



 

यह ग़ुस्सा ओवैसी पर नहीं है यह ग़ुस्सा इस बात पर है कि कोई मुसलमान पार्टी की हिम्मत कैसे हुई की वो किसी यादव पार्टी, पंडित पार्टी, ठाकुर पार्टी या दलित  पार्टी की बराबरी करे। सभी सेक्युलर पार्टी के लिए सबसे अच्छा मुसलमान वही है जो उनके दरवाजे पर पढे रहेते और इस मुद्रा में हमेशा सभी पार्टियों के दरवाज़े पर बैठा रहे। भाई अगर यादव वोट के बटंने और कटने पर किसी को आपत्ती नहीं है तो मुसलमानों के वोट कटने से क्यों आपत्ती है। ओवेसी की पार्टी बेईमान है धोकेबाज़ है भाजपा की बी नहीं बल्कि ए टीम है। ये प्रचार इतना किया जाता है और उसके लिये जैसे खास टीम रखी गई है. लेकीन इनहे ये कौन बताये की इस हम्माम में कौन नंगा नहीं है। 

अगर यादव अपनी पार्टी बना कर भाजपा काँग्रेस  माकपा में वोट दे सकते हैं तो मुसलमान भी ओवेसी के रहते सबको वोट दे सकते हैं। ओवैसी मुसलमानों को लंगड़ी और बैसाखी वाली राजनीती से बाहर निकाल कर मुख्यधारा में लाते हैं, सभी जातियों से संवाद करते हैं, अपने नए नारे और मुद्दे गढ़ते हैं तो इस बात में ऐसा क्या ग़लत है जिसपर योगेंद्र यादव को सबको ग़ुस्सा है। कल आप कहेंगे मुसलमानों को पढ़ने की किया ज़रूरत है, कांग्रेस और भाजपा के लोग तो पढ़ ही रहे हैं। कल आप मुसलमानों को दुकान खोलने पर एतराज़ करेंगे। फिर आप कहेंगे सौ करोड़ लोग जैसे चाहे रहें लेकिन मुसलमान नागरिक अकेले आदर्शवाद का ढकोसला ढोते रहें।  

एक बात ये भी है की योगेंद्र यादव ये कहें कि हिन्दू वोटर जैसे चाहे बर्ताव करे जहाँ चाहे जाए जैसे चाहे करे लेकिन मुसलमान वोट सिर्फ वैसे ही बर्ताव करे जैसे वह चाहते हैं यह उनकी विज्ञानता नहीं बल्कि वर्चस्ववादिता को समर्थन दिखाता है। मुसलमान को एक बराबर के नागरिक की तरह देखा जाय। अच्छा काम करने में और गलत काम करने में भी। आपको यह पूछना चाहिए कि अगर हिन्दुओं के द्वारा हिन्दुओं के नेतृत्व वाली पार्टियां अगर सम्पर्दायिक नहीं हो सकती तो मुसलमानों के द्वारा मुसलमानों के नेतृत्व वाली राजनितिक पार्टियों पर इतना वावेला किया दर्शाता है। 

अगर ओवेसी अपन एम आय एम पार्टी को पुरे देश मे विस्तार करना चाहते हैं तो ये उनका संवेधानक अधीकार है जो भारत की राज्य घटना ने दिया हैं. इसमे किसी के को नुकसान होतं है तो ये उस पार्टी की जिम्मेदारी होनी चाहिए की वो अपने मातदाता को अपना ना कर सखे 

देश की जनता बदलाव चाहाती है, विकास चाहती है और देश के साथ साथ खुदकी भी उनात्ती बडोतरी चहाती है. अगर बिहार के सिमानचल की जनता को एम आय एम पर विश्वास हैं तो ये एम आय एम की बडी कमियाबी है.

जिस तरह जनता मे एम आय एम का क्रेझ बड रहा है आने वाले बंगाल और उत्तर प्रदेश मे मे भी एम आय एम बहेतरिन प्रदर्शन करेंगी.

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